Geeta Jayanti 2025: इन खास कर्मों से गीता जयंती बनेगी मंगलमय, बस ध्यान रखें ये बातें

Edited By Updated: 25 Nov, 2025 12:15 PM

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Geeta Jayanti 2025: गीता जयंती वह पवित्र दिवस है जब मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को, कुरुक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का अमर ज्ञान दिया था। यह दिवस न केवल गीता के जन्म का प्रतीक

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Geeta Jayanti 2025: गीता जयंती वह पवित्र दिवस है जब मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को, कुरुक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का अमर ज्ञान दिया था। यह दिवस न केवल गीता के जन्म का प्रतीक है, बल्कि यह सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ की शिक्षाओं को जीवन में उतारने का संकल्प लेने का भी दिन है। इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी।

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गीता जयंती पर अवश्य करें ये शुभ कार्य

श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ और दान

इस दिन स्वयं पूरी गीता का पाठ करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो कम से कम गीता के 18 अध्यायों में से कोई एक अध्याय या भगवान कृष्ण का सबसे प्रिय 11वां अध्याय पढ़ना चाहिए।

गीता दान: इस दिन योग्य ब्राह्मणों, मंदिरों या जरूरतमंदों को गीता की प्रतियां दान करना परम पुण्य का कार्य माना जाता है। यह ज्ञान के प्रकाश को फैलाने का सबसे उत्तम तरीका है।

भगवान कृष्ण और लक्ष्मी नारायण की पूजा
चूंकि यह मोक्षदा एकादशी भी है इसलिए भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है।

पूजा विधि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा स्थल को साफ कर भगवान कृष्ण और गीता जी को गंगाजल से स्नान कराएं। उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल, तुलसी दल, रोली, अक्षत और धूप-दीप अर्पित करें।

मंत्र जाप: भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करें, जैसे: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

मोक्षदा एकादशी व्रत
इस दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत अवश्य रखें। यह व्रत रखने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत का संकल्प लेकर, फल, दूध या जल ग्रहण करते हुए फलाहार करें। अगले दिन द्वादशी तिथि में पारण करें।

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दान और सेवा
इस दिन अपनी क्षमतानुसार अन्न, वस्त्र या धन का दान करना चाहिए। विशेष रूप से पीली वस्तुएं दान करना शुभ माना जाता है क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु से जुड़ा है। गायों को चारा खिलाना और निर्धन व्यक्तियों की सेवा करना भी बहुत शुभ फलदायी होता है।

आचरण और चिंतन
इस दिन आत्म-मंथन करें। गीता के मुख्य उपदेश जैसे कर्मयोग और भक्ति योग पर विचार करें और उन्हें अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें। झूठ, निंदा और कटु वचन से बचें।

Don't make these mistakes on Geeta Jayanti गीता जयंती पर भूलकर भी न करें ये गलतियां

चावल का सेवन- एकादशी तिथि पर चावल खाना वर्जित है। माना जाता है कि चावल खाने से पाप लगता है और व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता।
तामसिक भोजन- इस दिन प्याज, लहसुन, मांसाहार, अंडा, शराब आदि का सेवन बिल्कुल न करें। यह पूजा और व्रत की पवित्रता को भंग करता है।
क्रोध और कटु वचन- किसी पर क्रोध न करें, अपशब्द न बोलें, और किसी का अपमान न करें। एकादशी पर मन की शांति भंग करने से पुण्य नष्ट होता है।
दिन में सोना- व्रत के दिन दिन में नहीं सोना चाहिए। रात्रि में जागरण कर भगवान का भजन-कीर्तन करना शुभ फल देता है।
तुलसी तोड़ना- एकादशी पर तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित है। पूजा के लिए तुलसी के पत्तों का प्रयोग एक दिन पहले ही तोड़कर कर लेना चाहिए।
पर-निंदा और झूठ- इस दिन किसी की निंदा न करें और झूठ बोलने से बचें। एकादशी का उद्देश्य मन और वाणी को शुद्ध रखना है।
जूठे बर्तन न छोड़ना- पूजा करने के बाद या भोजन के बाद जूठे बर्तन घर में न छोड़ें। तुरंत साफ करके रसोई को स्वच्छ रखें।

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