Guru Ram Das Jayanti: श्री गुरु रामदास जी के प्रकाश पर्व पर पढ़ें उनके जीवन से जुड़ी कथाएं

Edited By Updated: 08 Oct, 2025 11:46 AM

guru ram das jayanti

​​​​​​​Guru Ram Das Jayanti 2025: श्री गुरु रामदास जी का जीवन और उनकी वाणी, दोनों ही अमृतमय सरोवर के समान हैं। जिस प्रकार समुद्र-मंथन से प्राप्त अमृत की एक बूंद भी जीवन प्रदान करती है, उसी प्रकार गुरु रामदास जी के जीवन और उपदेश मानवता के लिए अमृत के...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Guru Ram Das Jayanti 2025: श्री गुरु रामदास जी का जीवन और उनकी वाणी, दोनों ही अमृतमय सरोवर के समान हैं। जिस प्रकार समुद्र-मंथन से प्राप्त अमृत की एक बूंद भी जीवन प्रदान करती है, उसी प्रकार गुरु रामदास जी के जीवन और उपदेश मानवता के लिए अमृत के समान हैं। उनका जीवन उस सौभाग्यपूर्ण उदय की कथा है, जो निराशा में भी आशा का दीप जलाता है, और उनकी बाणी अनादिकाल तक मानवता का मार्ग रौशन करती रहेगी।

Guru Ram Das Jayanti

बाल्यकाल और प्रारम्भिक जीवन
गुरु रामदास जी का जन्म लाहौर में हुआ। बाल्यावस्था में ही माता-पिता का देहावसान हो गया। 7 वर्ष की आयु में अनाथ होने के बाद नानी उन्हें बासरके ले आईं। वहीं उनकी मुलाकात श्री गुरु अमरदास जी से हुई। यह इतिहास में अद्वितीय था दो गुरुओं का आत्मिक संगम। 

बालक जेठा (यही उनका बाल्यकालीन नाम था) ने कठिन परिश्रम और सेवा भावना से अपना जीवन गढ़ना प्रारंभ किया। वह चने बेचते थे, परंतु इसमें कभी हीनता नहीं मानी। वे इसे ईमानदार किरत का प्रतीक मानते थे। उनकी निष्कपट सेवा भावना और सत्यनिष्ठा ने उन्हें जल्द ही सबका प्रिय बना दिया।

गुरु अमरदास जी की सेवा और कृपा
गुरु अमरदास जी ने जेठा जी में छिपे दिव्य गुणों को पहचान लिया। उन्होंने उन्हें न केवल अपने साथ रखा बल्कि अपनी सुपुत्री बीबी भानी जी के साथ उनका विवाह भी कराया। 

यह केवल पारिवारिक बंधन नहीं था, बल्कि आत्मिक एकता का प्रतीक था। विवाह के पश्चात भी गुरु रामदास जी में वही विनम्रता, वही सेवा-भाव बना रहा। गुरु अमरदास जी की कृपा से उन्हें गुरु का पद प्राप्त हुआ। 

Guru Ram Das Jayanti

अमृतसर और हरिमंदिर साहिब की स्थापना
गुरु रामदास जी की सबसे बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि अमृतसर नगर और हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) की नींव रखना थी। गुरु अमरदास जी के आदेश पर उन्होंने ‘गुरु का चक्क’ नामक स्थान पर एक नगर बसाया, जो आगे चलकर ‘रामदासपुर’ और फिर ‘अमृतसर’ कहलाया।

गुरु रामदास जी ने सरोवर की खुदाई के दौरान स्वयं सेवा की। वह मिट्टी की टोकरियां अपने सिर पर उठाकर ढोते थे। उनके पुत्र, गुरु अर्जुन देव जी भी सेवा में उनके साथ रहे। 

अकबर के साथ गुरु जी की भेंट 
श्री गुरु अमरदास जी के विरुद्ध कुछ लोगों ने मुगल बादशाह अकबर के समक्ष झूठी शिकायतें कीं। वृद्धावस्था के कारण गुरु अमरदास जी ने अपने स्थान पर भाई जेठा (गुरु रामदास जी) को भेजा। लाहौर दरबार में गुरु रामदास जी ने अपने ज्ञान, विनम्रता और सत्य के बल पर सभी आरोपों को मिथ्या सिद्ध कर दिया।

अकबर उनकी सरलता और मानवतावादी दृष्टि से इतना प्रभावित हुआ कि उसने कुछ भी मांगने का प्रस्ताव रखा, परंतु गुरु रामदास जी ने अपने लिए कुछ नहीं मांगा, उन्होंने जनता पर लगे अनुचित कर हटाने का निवेदन किया। यह उनका महान मानवतावाद था, अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए मांगना।

(साभार ‘गुरमत ज्ञान’)

Guru Ram Das Jayanti

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!