हीरक जयंती पर विशेष: आज भी जारी हैं गुरुदेव अमर मुनि द्वारा शुरू सेवा कार्य

Edited By Updated: 30 Sep, 2025 05:52 PM

gurudev amar muni diamond birth anniversary

Gurudev Amar Muni Diamond Birth Anniversary: भारत ऋषियों, मुनियों, महात्माओं का देश है। एक से बढ़कर एक ऋषि-मुनि अपने आचार, विचार और वाणी से यहां के जनमानस का मार्गदर्शन करते रहे हैं। मुनियों की इसी परम्परा में एक महामुनि हुए उत्तर भारतीय प्रवर्तक...

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Gurudev Amar Muni Diamond Birth Anniversary: भारत ऋषियों, मुनियों, महात्माओं का देश है। एक से बढ़कर एक ऋषि-मुनि अपने आचार, विचार और वाणी से यहां के जनमानस का मार्गदर्शन करते रहे हैं। मुनियों की इसी परम्परा में एक महामुनि हुए उत्तर भारतीय प्रवर्तक श्रुताचार्य गुरुदेव श्री अमर मुनि जी महाराज। उन्होंने अपने उदात्त आचार, विचार और धर्म-प्रचार से मानव समाज को एक नई दिशा दी। 

गुरु अमर संयम अमृत महोत्सव का विराट भव्य आयोजन 5 अक्तूबर रविवार को सरदार पटेल भवन वसंतनगर, बेंगलूर में किया जा रहा है। 

वि-सं- 1983, भादवा सुदी पंचमी (सन् 1936) को अविभाजित भारत के क्वेटा बलूचिस्तान (वर्तमान में पाकिस्तान) में श्री अमर गुरुदेव का जन्म हुआ। बालक अमरनाथ लुधियाना में विराजित आचार्य सम्राट श्री आत्माराम जी म-सा के सान्निध्य में आए। सद्गुरु का पारस-स्पर्श पाकर अमरनाथ शुद्ध स्वर्णत्व को उपलब्ध हुए। 

आचार्य श्री के दिशा-दर्शन में अक्षय गुण भंडार गुरुदेव भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म-सा ने उस शुद्ध स्वर्ण को मुनित्व के मुकुट के रूप में घड़ा। वि-सं- 2008, भादवा सुदी पंचमी (सन् 1951) के दिन सोनीपत शहर में गुरुमुख से दीक्षा-मंत्र ग्रहण कर अमरनाथ ‘अमर मुनि’ बने।

वह एक ओजस्वी और रस-सिद्ध प्रवक्ता थे। जाति, धर्म, सम्प्रदाय के भेद को भूलकर लोग उनके व्याख्यानों में उमड़-उमड़ कर आते थे। 

सैंकड़ों स्थानों पर उनकी प्रेरणा से अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें- कापी एवं पाठ्य सामग्री तथा फीस आदि प्रबंधन के कार्यक्रम शुरू किए गए, जो आज भी निर्बाध चल रहे हैं और सैंकड़ों धर्मस्थानकों, धर्मशालाओं, अस्पतालों, डिसपैंसरियों, पुस्तकालयों, सिलाई-सैंटरों आदि का निर्माण हुआ। आज भी ये संस्थाएं जन-सेवा के कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रही हैं।

गुरुदेव ने ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक अमूल्य ग्रंथालयों की रचना की और उनका समाज में वितरण कराया। गुरुदेव की सबसे बड़ी देन है जैनागमों का हिन्दी-अंग्रेजी में अनुवादन एवं ललित चित्र सहित प्रकाशन कराना। गुरुदेव श्री के इस महान श्रुत-यज्ञ को केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अमरीका, इंगलैंड, जर्मनी आदि अनेक देशों में भी भूरि-भूरि प्रशंसा प्राप्त हुई।

गुरुदेव श्री द्वारा प्रारंभ किया गया यह श्रुत-यज्ञ आज भी द्रुत गति से गतिमान है। श्री अमर गुरुदेव असंख्य गुण-निधान हैं। उन गुण-निधान श्रुत स्वयंभूरमण महामुनीश्वर का हीरक जयंती पुण्य पर्व (गुरु अमर संयम अमृत वर्ष (2024-2025) हमारे समक्ष है। सभी गुरुभक्तों से निवेदन है कि इस पुण्य-प्रसंग पर उनके द्वारा शुरू किए गए लोक-कल्याणकारी अनुष्ठानों में अधिक से अधिक सहयोग प्रदान कर गुरु-भक्ति को सफल करें।   

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