अगहन पूर्णिमा पर क्यों है हरिहर स्नान करना शुभ और जानें इसका महत्व

Edited By Updated: 02 Dec, 2025 02:59 PM

harihar snan importance

हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को अत्यंत पवित्र माना गया है। इस दिन किए जाने वाले स्नान-दान का फल कई गुना अधिक होता है। विशेष रूप से, इस तिथि पर 'हरिहर स्नान' का असाधारण महत्व बताया गया है, जो भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त...

Harihar Snan Importance : हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को अत्यंत पवित्र माना गया है। इस दिन किए जाने वाले स्नान-दान का फल कई गुना अधिक होता है। विशेष रूप से, इस तिथि पर 'हरिहर स्नान' का असाधारण महत्व बताया गया है, जो भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त शक्ति का प्रतीक है। माना जाता है अगहन पूर्णिमा के दिन दो प्रमुख देवताओं की संयुक्त पूजा और पवित्र संगमों में स्नान करने से जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा  मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि क्यों इस विशेष तिथि पर हरिहरनाथ महादेव की आराधना का विशेष विधान है, जो भक्तों को एक ही पूजा में मोक्ष और जीवन के सभी सुख प्रदान करती है।

Harihar Snan Importance

हरिहर स्नान का महत्व क्या है?
अगहन पूर्णिमा के दिन हरिहर स्नान करने का अर्थ है एक ही समय पर भगवान विष्णु और भगवान शिव, दोनों की संयुक्त कृपा प्राप्त करना। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र स्नान से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह स्नान भक्तों को मोक्ष की ओर ले जाता है और जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। माना जाता है कि यह स्नान विशेष रूप से ऐसे स्थानों पर किया जाता है जहां विष्णु और शिव दोनों की पूजा एक साथ होती है, जैसे सोनपुरस्थित हरिहरनाथ मंदिर के पास गंगा और गंडक के संगम पर।

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हरिहरनाथ महादेव की पूजा क्यों होती है?
सोनपुर (बिहार) में स्थित हरिहरनाथ मंदिर भारत के उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है, जहां एक ही विग्रह में शिव और विष्णु दोनों की पूजा की जाती है। यह पूजा इस बात का प्रतीक है कि सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु जी और संहारकर्ता शिव जी वास्तव में एक ही सत्ता के दो रूप हैं। यह हिंदू धर्म के एकेश्वरवाद के सिद्धांत को दर्शाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान पर हाथी और मगरमच्छ का प्रसिद्ध युद्ध हुआ था। जब गज संकट में पड़ा, तो भगवान विष्णु ने उसे बचाने के लिए अपने चक्र से ग्राह का वध किया। इस घटना के बाद से यह स्थान भगवान शिव और विष्णु दोनों की आराधना का केंद्र बन गया। अगहन पूर्णिमा पर हरिहरनाथ महादेव की पूजा करने से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। यह पूजा जीवन में संतुलन और संपूर्णता लाती है।

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