वास्तु में बताई है इन 8 दिशाओं की Importance, आप भी ज़रूर जानें

Edited By Jyoti,Updated: 23 Oct, 2020 02:01 PM

importance of these 8 directions is told in vastu

वास्तु शास्त्र में दिशाओं के बारे में बहुत ही अच्छे से वर्णन मिलता है। कहा जाता है जहां भी हम रहते हैं उस जगह के साथ-साथ उस जगह की दिशाओं का भी वहां रहने वाले लोगों पर गहरा असर पड़ता है।

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वास्तु शास्त्र में दिशाओं के बारे में बहुत ही अच्छे से वर्णन मिलता है। कहा जाता है जहां भी हम रहते हैं उस जगह के साथ-साथ उस जगह की दिशाओं का भी वहां रहने वाले लोगों पर गहरा असर पड़ता है। मगर क्या आप जानते हैं वास्तु में कौन सी दिशाओं के बारे में बताया गया है तथा घर के अंदर की दिशाओं कर क्या चीज़ें रखनी चाहिए। 
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तो चलिए अगर आप भी जानना चाहते हैं कि घर में किस दिशा में क्या होना चाहिए, तो चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ी खास जानकारी। क्योंकि अगर दिशाओं की जानकारी न हो, और गलत दिशा में गलत सामान रख दिया जाए तो उसका प्रभाव भी व्यक्ति पर गलत ही पड़ता है। 
सबसे पहले आपको बताते हैं वास्तु में कौन सी दिशाओं का अधिक महत्व है। बताया जाता है उत्तर, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम और वायव्य, इन दिशाओं का सबसे अधिक महत्व होता है। 

यहां जानें कौन सी दिशा का क्या है महत्व, और कहां पर क्या रखना चाहिए-
1. उत्तर दिशा: वास्तु के अनुसार इसके देवता धन के कुबेर तथा ग्रह स्वामी बुध देव को माना जाता है। इसे माता का स्थान का माना जाता है, यानि अगर इस दिशा में वास्तु दोष उत्पन्न हो तो घर में माता को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होती हैं। इसलिए कहा जाता है इसी दिशा को खाली रखना बेहद ज़रूरी होता है। 
2. ईशान कोण: मान्यता है कि इस दिशा में जल एवं भगवान शिव का स्थान हैं तथा गुरु ग्रह ईशाण दिशा के स्वामी कहलाते हैं। बता दें घर की इस दिशा में पूजा घर, मटका, कुंवा, बोरिंग वाटरटैंक अदि का स्थान बनाना अच्छा होता है।
3. पूर्व दिशा: वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि इस दिशा के स्वामी सूर्य व इंद्र देवता होते हैं। तो वहीं इसे पितृस्थान का प्रतीक माना जाता, जिसका खुला होना अति आवश्यक होता है।
4. आग्नेय कोण: आग्नेय कोण को अग्नि एवं मंगल का स्थान कहा जाता है तथा शुक्र ग्रह को इस दिशा का स्वामी कहते हैं। इस दिशा के अंतर्गत रसोई या इलैक्ट्रॉनिक उपकरण हो सकते हैं।
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5. दक्षिण दिशा: ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ वास्तु में बताया गया है कि इस दिशा में काल पुरुष का बायां सीना, किडनी, बाया फेफड़ा, आतें हैं एवं कुंडली का दशम घर है। यम के आधिपत्य एवं मंगल ग्रह के पराक्रम वाली दक्षिण दिशा पृथ्वी तत्व की प्रधानता वाली दिशा है। इसलिए इस दिशा का भारी होना ज़रूरी है। 
6. नैऋत्य कोण: इसमें पृथ्वीइ तत्व का स्थान हैं और इसके स्वामी राहु और केतु है। इस दिशा का ऊंचा और भारी होना आवश्यक होता है। तो वहीं यहां टीवी, रेडियो, सी.डी. प्लेयर अथवा खेलकूद का सामान रका जा सकता है। इसके अलावा नैऋत्य के साथ-साथ दक्षिण में अलमारी, सोफा, मेज, भारी सामान तथा सुरक्षित रखे जाने वाला सामान रख सकते हैं। 
7. पश्चिम दिशा: वास्तु शास्त्र बताते हैं कि इस दिशा के देवता वरूण और ग्रह स्वामी शनि माने जाते हैं। इस दिशा में जो भी सामान रखा हो उसका वास्तु के अनुसार होना ज़रूरी होता है। 
8. वायव्य कोण: आखिर में बारी आती है वायव्य दिशा की। यहां वायु का स्थान होता है और इसके स्वामी ग्रह चंद्र होते हैं। इस दिशा में खिड़की, उजालदान आदि का स्थान बनाया जा सकता है। 
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