Edited By Prachi Sharma,Updated: 20 Feb, 2024 10:22 AM
एक राजा के तीन पुत्र थे। उनमें से एक को राजा राज्य का वारिस ब नाना चाहता था।
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Inspirational Context: एक राजा के तीन पुत्र थे। उनमें से एक को राजा राज्य का वारिस ब नाना चाहता था।
एक दिन उन्हें बुला कर राजा ने कहा, ‘‘जाओ, किसी धर्मात्मा को खोज लाओ।’’
लड़के धर्मात्मा की खोज में निकले।
कुछ समय बाद पहला लड़का एक थुलथुल आदमी को साथ लेकर लौटा।
लड़के ने बताया ‘‘यह आदमी सेठ है लेकिन खूब दान धर्म करता है।’’
राजा ने उनका सत्कार किया। खूब धन देकर उन्हें विदा किया। सेठ ने जाते समय वचन दिया कि वह सारा धन गरीबों के लिए धर्मशाला बनाने में खर्च करेगा।
दूसरा लड़का अपने साथ एक ब्राह्मण को लेकर आया। उसने बताया, ‘‘इन्हें चारों वेदों का पूरा ज्ञान है। इन्होंने चार धामों की पैदल यात्रा की है। तप भी करते हैं।’’
राजा ने उनका भी सम्मान किया और खूब सारी दक्षिणा देकर उन्हें विदा किया।
तीसरा लड़का भी एक आदमी को लेकर आया।
लड़के ने बताया, ‘‘यह आदमी सड़क पर एक कुत्ते के जख्म धो रहा था। मैंने जब पूछा कि इससे आपको क्या मिलेगा, तो इन्होंने कहा कुत्ते को आराम मिलेगा। आगे आप ही इनसे पूछिए।’’
राजा ने उससे पूछा, ‘‘क्या आप धर्म-कर्म करते हो ?’’
आदमी ने कहा, ‘‘मैं जरूरतमंद की मदद करता हूं।’’
राजा ने कहा, ‘‘यही तो धर्म है।’’ कहना न होगा कि राजा ने अपने तीसरे बेटे को ही अपना वारिस चुना।