Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Mar, 2024 10:58 AM
एक शिष्य सदैव अपने गुरु की आज्ञा का पालन करता, उनकी मन लगाकर सेवा करता तथा अधिक-से-अधिक ज्ञान
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Context: एक शिष्य सदैव अपने गुरु की आज्ञा का पालन करता, उनकी मन लगाकर सेवा करता तथा अधिक-से-अधिक ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करता।
एक दिन वह गुरु से बोला, ‘‘आज मैं पच्चीस साल का हो गया हूं। क्या अब भी मेरी शिक्षा पूर्ण नहीं हुई ?’’
गुरु ने कहा, ‘‘तुम्हारी शिक्षा पूर्ण हो गई है पर परीक्षा बाकी है।’’
शिष्य ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘कैसी परीक्षा गुरुदेव ?’’
गुरु ने कहा, ‘‘तुम जंगल से ऐसी वनस्पति ढूंढकर लाओ जिसका कुछ भी उपयोग न हो।’’
शिष्य तत्काल जंगल में निकल पड़ा और कुछ समय बाद वापस आकर बोला, ‘‘गुरुदेव इस जंगल में क्या, इस संसार में एक भी ऐसा पदार्थ नहीं है जिसका कोई उपयोग न हो। मुझे तो जंगल में ऐसी वनस्पति नहीं मिली।’’
गुरु ने प्रसन्नतापूर्वक कहा, ‘‘तुम्हारी शिक्षा पूर्ण हो गई है। तुम कण-कण का महत्व समझ गए हो।’’
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