Inspirational Context: जानें, इस कहानी से शिक्षा का असली मोल किताबों में नहीं, कर्म में होता है

Edited By Sarita Thapa,Updated: 31 May, 2025 07:01 AM

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Inspirational Context: गांव की चार महिलाएं कुएं पर पानी भरने गई तो अपने-अपने बेटों की तारीफ करने लगीं। एक महिला बोली, “मेरा बेटा काशी से पढ़कर आया है। वह संस्कृत का विद्वान हो गया है। बड़े-बड़े ग्रंथ उसे मुंह जुबानी याद हैं।”

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Inspirational Context: गांव की चार महिलाएं कुएं पर पानी भरने गई तो अपने-अपने बेटों की तारीफ करने लगीं। एक महिला बोली, “मेरा बेटा काशी से पढ़कर आया है। वह संस्कृत का विद्वान हो गया है। बड़े-बड़े ग्रंथ उसे मुंह जुबानी याद हैं।”

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दूसरी महिला बोली, “मेरे बेटे ने ज्योतिष की विद्या सीखी है, जो भविष्यवाणी वह कर देता है कभी खाली नहीं जाती है।” तीसरी महिला भी बोली, “मेरे बेटे ने भी अच्छी शिक्षा ली है, वह दूसरे गांव के विद्यालय में पढ़ाने के लिए जाता है।”

चौथी महिला चुप थी। बाकी महिलाओं ने उससे पूछा, “तुम भी बताओ तुम्हारा बेटा कितना पढ़ा-लिखा है?” इस पर चौथी महिला बोली, “मेरा बेटा पढ़ा-लिखा नहीं है, पर वह खेतों में बहुत मेहनत करता है।”

वे चारों आगे बढ़ीं तो पहली वाली का बेटा आता हुआ दिखाई दिया। मां के साथ की महिलाओं को नमस्कार करके आगे बढ़ गया। इसी प्रकार दूसरी और तीसरी महिला के बेटे भी रास्ते में मिले और नमस्कार करके आगे बढ़ गए।

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चौथी महिला के बेटे ने जब रास्ते में मां को देखा तो दौड़कर उसके सिर से घड़ा उतार लिया और बोला, “तुम क्यों चली आई? मुझसे कह दिया होता।”

यह कहकर वह घड़ा अपने सिर पर रखकर चल दिया। तीनों महिलाएं देखती ही रह गई। प्रसंग का सार यह है कि जिंदगी में सिर्फ किताबी शिक्षा ही काफी नहीं है। हमें बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान भी सिखाना चाहिए।

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