झारखंड से जॉर्डन तक, कहानियों में बसी आत्मा की पुकार: संदीप कुमार मिश्रा कहानी पुरस्कार 2025 संपन्न

Updated: 27 Jun, 2025 06:32 PM

announcement of sandeep kumar mishra story award 2025

संदीप कुमार मिश्रा कहानी पुरस्कार 2025 की घोषणा एक भव्य वर्चुअल समारोह में की गई, जिसमें 17 देशों के लेखकों, संपादकों और पाठकों ने भाग लिया। हज़ारों साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में आयोजित एक भव्य वर्चुअल समारोह में संदीप कुमार मिश्रा कहानी...

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। "जब स्मृति शब्द बनती है और शब्द आत्मा को छू लेते हैं, वहीं से सच्ची कहानी शुरू होती है।" इन्हीं विचारों के साथ, संदीप कुमार मिश्रा कहानी पुरस्कार 2025 की घोषणा एक भव्य वर्चुअल समारोह में की गई, जिसमें 17 देशों के लेखकों, संपादकों और पाठकों ने भाग लिया। हज़ारों साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में आयोजित एक भव्य वर्चुअल समारोह में संदीप कुमार मिश्रा कहानी पुरस्कार 2025 के विजेताओं की घोषणा की गई। प्रसिद्ध कवि-संपादक संदीप कुमार मिश्रा के सम्मान में स्थापित यह प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार सीमाओं, संस्कृतियों और विधाओं से परे जाकर उत्कृष्ट कहानियों को सम्मानित करता है। संदीप कुमार मिश्रा, जिनका नाम अब केवल एक लेखक या कवि तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एक साहित्यिक विचारधारा का प्रतीक बन चुका है, ने युवा और अनुभवहीन लेखकों को आगे बढ़ने के लिए जो मंच दिया है, वह सचमुच प्रेरणादायक है। उनकी स्मृति और दृष्टि से प्रेरित यह पुरस्कार अब वैश्विक कहानियों का पर्व बन गया है।
इस वर्ष की थीम थी "स्मृति और प्रवास", जिसके तहत 17 देशों से 1200 से अधिक प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। कहानियाँ पहचान, विस्थापन और भुला दिए गए जीवन अनुभवों जैसे विषयों पर केंद्रित थीं। निर्णायक मंडल का नेतृत्व प्रख्यात लेखिका श्रेय मंडल ने किया और इसमें ब्रिटेन, नाइजीरिया और श्रीलंका के साहित्यिक संपादक शामिल थे।


विविधता, व्याप्ति और भावनाओं की गहराई
इस वर्ष की थीम स्मृति और प्रवास ने लेखकों को आत्मा की गहराइयों में उतरने और विस्थापन, पहचान, और इतिहास के साये में छुपे मानवीय अनुभवों को कागज़ पर उतारने का अवसर दिया। प्रतियोगिता में कुल 1200 से अधिक प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं – जिनमें झारखंड के जंगलों से लेकर जॉर्डन के शरणार्थी शिविरों, बेंगलुरु की गलियों से लेकर टोरंटो की इमारतों तक की कहानियाँ थीं।
निर्णायक मंडल की अध्यक्षता श्रेय मंडल (भारत) ने की, जिनके साथ जूरी में फ़रूक इक़बाल (नाइजीरिया), एम्मा ली (यूके) और संध्या नटराजन (श्रीलंका) जैसे प्रतिष्ठित साहित्यसेवी शामिल थे।


विजेता जिन्होंने दिल जीत लिया
इस वर्ष ग्रैंड प्राइज़ जीता लूसिया फर्नांदेज़ (बार्सिलोना, स्पेन) ने अपनी मार्मिक कहानी "द फिग ट्री दैट रिमेम्बर्ड" के लिए। कहानी में एक नन्ही लड़की के दृष्टिकोण से द्वितीय विश्व युद्ध की त्रासदी, पारिवारिक विस्थापन और एक वटवृक्ष की मौन स्मृति को एक अद्भुत काव्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया।
"उभरती आवाज़" पुरस्कार भारत के आरव मेनन को उनकी कहानी "ऐशेज़ इन द मॉनसून" के लिए मिला, जिसमें एक युवा श्मशान कर्मचारी की आंतरिक यात्रा को महामारी की पृष्ठभूमि में गहराई से उकेरा गया है।
प्रवासी लेखन पुरस्कार कनाडा की नूर अल-सईद को मिला, जिनकी कहानी "द टैक्सी ड्राइवर'स फिफ्थ डॉटर" एक दिलचस्प और व्यंग्यात्मक झलक देती है कि कैसे प्रवासी परिवारों में पीढ़ीगत संघर्ष और सांस्कृतिक भ्रम पनपते हैं।
हिंदी भाषा में उत्कृष्ट योगदान के लिए अभिषेक वर्मा (राँची) की कहानी "झूला झूलती रूहें" को क्षेत्रीय भाषा श्रेणी में पुरस्कृत किया गया – यह एक रहस्यमयी, अलौकिक और भावनात्मक रूप से जटिल कहानी है।


एक अंतरराष्ट्रीय मंच
इस पुरस्कार की सबसे बड़ी विशेषता इसकी वैश्विक पहुंच है। इस वर्ष की संक्षिप्त सूची (Shortlist) में निम्न देशों के लेखकों को शामिल किया गया:  "द बोन कार्वर ऑफ बिकानेर" – राहुल सहगल (जयपुर, भारत), "व्हिस्पर्स इन सोवेटो" – थांडो मबेकी (जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका),  "व्हेन मंकीज़ स्टॉप्ड प्रेइंग" – नीरव पटेल (अहमदाबाद, भारत),  "जैस्मीन, माय सिस्टर" – मीनाक्षी अरुल (चेन्नई, भारत),  "द डे वी बरीड इंग्लिश" – जसप्रीत आहूजा (टोरंटो, कनाडा),  "फोर मिनट्स टू मिडनाइट" – तारीक हुसैन (श्रीनगर, भारत), "बिरयानी फॉर वन" – फातिमा रहमान (ढाका, बांग्लादेश),  "द ब्लू पासपोर्ट" – मीना ओकाफोर (लागोस, नाइजीरिया), "द क्लॉकमेकर्स बीयर्ड" – सेबास्टियन कार्लसन (स्टॉकहोम, स्वीडन)
यह विविधता साबित करती है कि भावनाएं, अनुभव और कल्पना किसी एक भाषा या भौगोलिक सीमा की मोहताज नहीं होतीं।
आगे की योजना: प्रकाशन और लेखक शिविर
सभी चयनित कहानियाँ "नई लौ: संदीप मिश्रा कहानियाँ 2025" नामक वार्षिक संकलन में रिवरवर्ड बुक्स द्वारा सितंबर में प्रकाशित की जाएँगी। इसके अलावा, विजेता लेखकों को मसूरी में एक रचनात्मक लेखन शिविर (Creative Residency) के लिए आमंत्रित किया गया है, जहाँ वे संपादकों, अनुवादकों और प्रकाशकों के साथ संवाद कर सकेंगे।
इसके साथ ही विजेताओं को वर्ल्ड राइटर्स समिट 2025 (कुआलालंपुर) में अपने कार्य प्रस्तुत करने का आमंत्रण भी मिलेगा – जो भारत की साहित्यिक आवाज़ को वैश्विक फलक पर स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम है।


संपन्न हुआ एक विचार, प्रारंभ हुई एक परंपरा
संदीप कुमार मिश्रा कहानी पुरस्कार अब केवल एक पुरस्कार नहीं, बल्कि एक आंदोलन है – विचारों को उजागर करने, अस्मिता को पहचान देने और नई पीढ़ी को अपनी भाषा व विरासत से जोड़ने का। 2025 का संस्करण साबित करता है कि कहानियाँ आज भी उतनी ही जीवंत हैं जितनी किसी लौ की तपिश – और इस लौ को जलाए रखने की जिम्मेदारी अब इन नए लेखकों के कंधों पर है।
अगला संस्करण:2026 के लिए प्रविष्टियाँ 1 नवम्बर 2025 से स्वीकार की जाएँगी।

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