Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Jul, 2025 08:24 AM

Inspirational Story: स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि उन दिनों जापान की यात्रा पर थे। जापानियों ने उनके प्रवचनों को खूब सराहा। बहुत से लोग तो उनके अनुयायी ही बन गए। जापान का एक सरकारी अधिकारी उनके विचारों से अत्यधिक प्रभावित हुआ। वह समय मिलने पर अक्सर...
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Inspirational Story: स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि उन दिनों जापान की यात्रा पर थे। जापानियों ने उनके प्रवचनों को खूब सराहा। बहुत से लोग तो उनके अनुयायी ही बन गए। जापान का एक सरकारी अधिकारी उनके विचारों से अत्यधिक प्रभावित हुआ। वह समय मिलने पर अक्सर उनके पास आने लगा। एक दिन स्वामी जी का मन बेहद उदास था। उन्होंने सोचा कि उस अधिकारी के पास जाकर कुछ वक्त गुजारा जाए तो उनका मन ठीक हो जाएगा।
वह उस अधिकारी के कार्यालय में जा पहुंचे। वहां पर उन्होंने उसके सचिव को एक चिट दी जिस पर उनसे मिलने का आग्रह था। कुछ देर बाद सचिव उनके पास पहुंचा तो उनसे विनम्रतापूर्वक बोला, “ क्षमा कीजिएगा, वह इस समय आपसे नहीं मिल सकते।”
यह सुनकर स्वामी जी को अत्यंत दुख हुआ। वह वहां से लौट आए।
शाम के समय जब कार्यालय बंद हो गया तो अधिकारी वहां से सीधा स्वामी जी के पास पहुंचा और बोला कि स्वामी जी क्षमा करें मैं सुबह आप को समय नहीं दे पाया। आप मुझे गलत मत समझें। हमारे यहां का नियम है कि हम राष्ट्र का एक पल भी व्यर्थ नहीं जाने देते। कार्यालय के समय पर मेरे देश का अधिकार है। इसलिए मैं उस समय निजी काम करना नियम के विरुद्ध मानता हूं। जब आप आए थे, तब मैं सरकारी काम में व्यस्त था। उसे छोड़कर मैं आपसे बात नहीं कर सकता था। मैं एक बार फिर आपसे क्षमा मांगता हूं।

अधिकारी की बात सुनकर स्वामी जी दंग रह गए और बोले, “धन्य हैं आप और आपका देश जो पल-पल की कीमत समझते हुए उसे राष्ट्र सेवा में लगाता है।” स्वामी जी और उस अधिकारी की मित्रता और मजबूत हो गई।
