Edited By Sarita Thapa,Updated: 02 Jun, 2025 07:01 AM

Inspirational Context: ईरानी शासक शाह जूसा की पुत्री अत्यंत सुंदर और शिक्षित थी। अनेक राजाओं ने उससे विवाह की इच्छा जताई थी, पर शाह ने उन सबका प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया।
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Inspirational Context: ईरानी शासक शाह जूसा की पुत्री अत्यंत सुंदर और शिक्षित थी। अनेक राजाओं ने उससे विवाह की इच्छा जताई थी, पर शाह ने उन सबका प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया, “मुझे पुत्री के लिए राजा नहीं, कोई त्यागी पुरुष चाहिए।”
संयोग से कुछ समय बाद ही शाह को एक युवा फकीर मिला। शाह उससे बहुत प्रभावित हुआ और उसने उससे पूछा कि क्या वह विवाह करना चाहता है?
फकीर ने हंस कर उत्तर दिया, “करना तो चाहता हूं पर मुझ फकीर से कौन अपनी बेटी की शादी करेगा?”
शाह बोला, “मैं आपको अपना दामाद बनाऊंगा।” फकीर ने कहा, “कहां आप राजा और दूसरी तरफ मैं, जिसके पास आज केवल तीन पैसे हैं।”
शाह ने कहा, “जाओ, इन तीन पैसों से शगुन की कुछ चीजें ले आओ।” बड़ी सादगी के साथ शाह ने अपनी पुत्री का विवाह उस फकीर के साथ कर दिया।
शादी करके फकीर शाह की लड़की को अपनी झोंपड़ी में ले आया। फिर उसने पूछा, “तुम मेरे साथ इस कुटिया में कैसे रहोगी?”
लड़की ने कहा, “मेरी खुद की मर्जी थी सादा जीवन बिताने की। लेकिन आपकी झोंपड़ी में रोटियों का ढेर देखकर मन में दुख हो रहा है।
इतनी रोटियां किस लिए? क्या आपको कल पर भरोसा नहीं है?” फकीर ने उत्तर दिया, “सोचा कुछ रोटियां बचाकर रख लूं, भविष्य में काम आएंगी।”
लड़की बोली, “अगर आप संग्रह की आदत छोड़ दें तो मैं आपकी झोंपड़ी को भी महल समझ कर रह लूंगी।” फकीर ने संग्रह न करने का प्रण लिया और दोनों सादगी भरा जीवन बिताने लगे।