Edited By Sarita Thapa,Updated: 16 Aug, 2025 02:02 PM

Inspirational Context: यूनान के एक गांव का लड़का जंगल में लकड़ियां काटकर शाम को पास वाले शहर के बाजार में बेचकर अपना गुजारा करता था। एक दिन एक विद्वान व्यक्ति बाजार से जा रहा था।
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Inspirational Context: यूनान के एक गांव का लड़का जंगल में लकड़ियां काटकर शाम को पास वाले शहर के बाजार में बेचकर अपना गुजारा करता था। एक दिन एक विद्वान व्यक्ति बाजार से जा रहा था। उसने देखा कि उस बालक का गट्ठर बहुत ही कलात्मक रूप से बंधा हुआ है।
उसने उस लड़के से पूछा, “क्या यह गट्ठर तुमने बांधा है?”
लड़के ने जवाब दिया, “जी हां, मैं दिनभर लकड़ी काटता हूं, स्वयं गट्ठर बांधता हूं और रोज शाम को गट्ठर बाजार में बेचता हूं।”
विद्वान ने पूछा, “क्या तुम इसे खोलकर इसी प्रकार दोबारा बांध सकते हो?”

“जी हां, यह देखिए” कहते हुए लड़के ने गट्ठर खोला तथा बड़े ही सुंदर तरीके से उसे पुन: बांध दिया। यह कार्य वह बड़े ध्यान, लगन और फुर्ती के साथ कर रहा था। लड़के की एकाग्रता, लगन तथा कलात्मक रीति से काम करने का तरीका देख उस व्यक्ति ने कहा, “क्या तुम मेरे साथ चलोगे? मैं तुम्हें शिक्षा दिलाऊंगा और तुम्हारा सारा खर्च मैं दूंगा।”
बालक ने सोच-विचार कर स्वीकृति दे दी और उसके साथ चला गया। उस व्यक्ति ने बालक के रहने और उसकी शिक्षा का प्रबंध किया। वह स्वयं भी उसे पढ़ाता था। बड़ा होने पर यही बालक यूनान के महान दार्शनिक पाइथागोरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वह भला आदमी जिसने बालक के भीतर पड़े महानता के बीज को पहचान कर उसे पल्लवित किया वह था यूनान का विख्यात तत्वज्ञानी डेमोक्रीट्स।
