Edited By Prachi Sharma,Updated: 01 Aug, 2025 08:10 AM

Inspirational Story: कर्त्तव्यनिष्ठ अध्यापक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सूर्यसेन की नियुक्ति बंगाल के एक विद्यालय में हुई थी। वह बेहद स्वाभिमानी और आदर्शवादी थे। शिक्षक के रूप में उन्होंने विद्यार्थियों के दिल में एक जगह बना ली थी। उन दिनों विद्यालय...
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Inspirational Story: कर्त्तव्यनिष्ठ अध्यापक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सूर्यसेन की नियुक्ति बंगाल के एक विद्यालय में हुई थी। वह बेहद स्वाभिमानी और आदर्शवादी थे। शिक्षक के रूप में उन्होंने विद्यार्थियों के दिल में एक जगह बना ली थी। उन दिनों विद्यालय में वार्षिक परीक्षाएं चल रही थीं। उन्हें परीक्षा का निरीक्षण करना था। जिस कमरे में उनकी ड्यूटी लगी थी उसी कमरे में विद्यालय के अंग्रेज प्रिंसिपल का बेटा भी परीक्षा दे रहा था। परीक्षा कक्ष में घूमते हुए सूर्यसेन उसके पास पहुंचे। उस समय वह नकल कर रहा था।
उन्होंने उसे तुरंत पकड़ लिया और परीक्षा देने से रोक दिया। जब परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ तो वह फेल था। अब साथ के सभी शिक्षक घबरा गए। उन्हें लगा कहीं सूर्यसेन की नौकरी न चली जाए। एक दिन अचानक सूर्यसेन को प्रिंसीपल का बुलावा आ गया। सूर्यसेन के अलावा सभी शिक्षक सहम गए।
पर प्रिंसिपल ने सूर्यसेन का स्वागत किया और स्नेह पूर्वक बोले, “मुझे यह जानकर गर्व हुआ कि मेरे विद्यालय में आप जैसे कर्त्तव्यनिष्ठ और आदर्शवादी अध्यापक भी हैं, जिन्होंने मेरे पुत्र को भी दंड देने में संकोच नहीं किया। सच कहूं, यदि आपने उसे नकल करने के बाद भी पास कर दिया होता तो मैं आपको बर्खास्त कर देता।’

इस पर सूर्यसेन ने हंस कर कहा, “और महोदय यदि आप अब भी मुझे उसे पास करने पर मजबूर करते तो मैं त्यागपत्र दे देता। मैं तो अपना इस्तीफा जेब में रख कर आया हूं।”
यह सुनकर प्रिंसिपल की दृष्टि में उनका सम्मान दोगुना हो गया। शिक्षकों के लिए यह आश्चर्य का विषय था। सूर्य सेन की निर्भीकता से वे बेहद प्रभावित हुए। प्रिंसीपल को लेकर भी उनकी राय बदल गई।
