Edited By Prachi Sharma,Updated: 25 Oct, 2025 06:00 AM

Inspirational Story: एक बार संत राबिया की कुटिया पर 2 फकीर पधारे और बोले, “हो सके तो हमारे लिए भोजन की व्यवस्था कर दीजिए।”
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Story: एक बार संत राबिया की कुटिया पर 2 फकीर पधारे और बोले, “हो सके तो हमारे लिए भोजन की व्यवस्था कर दीजिए।”
फकीरों के खाना मांगने पर संत राबिया ने घर में देखा तो पाया कि वहां तो 2 ही रोटियां थीं। इतने में एक भिखारी ने भी आवाज लगाई, “भूखा हूं, कुछ खाने को दो।” अब राबिया ने दोनों रोटियां उस भिखारी को दे दीं। तभी छोटी-सी एक लड़की पोटली लेकर आई और बोली, “यह अम्मा ने भेजी है।”

राबिया ने उस पोटली को खोला तो पाया कि उसमें काफी रोटियां थीं। उन्होंने वे रोटियां फकीरों को परोस दीं। फकीर भी वहीं खड़े सब कुछ देख रहे थे, तो उन्होंने कहा, “भोजन तो हम बाद में करेंगे, पहले जो कुछ हुआ, वह हमें समझाओ। संत राबिया बोलीं, “घर में केवल 2 ही रोटियां थीं, इतने में भिखारी आ गया। परमात्मा का नाम लेकर दोनों रोटियां मैंने उसे दे दीं। साथ ही साथ परमात्मा से दुआ भी की, “सुना है कि तू दिए दान का दस गुना तो अवश्य ही वापस करता है। इसलिए आज मुझे इस दान का फल तुरंत देना।”

राबिया बोलीं, वह लड़की जब रोटियां लेकर आई, तो गिनने पर पाया कि केवल 18 रोटियां ही हैं, जबकि 2 का दस गुना तो 20 होता है। मैंने सोचा कि क्या परमात्मा के विधान में भी कोई गलती हो सकती है ? लगता है कि या तो मुझसे या फिर रोटी भेजने वाली महिला से कुछ गलती हो गई। लेकिन फिर जब मैंने दोबारा गिनती की, तो कुल 20 रोटियां थीं। मैं परमात्मा की शुक्रगुजार हूं कि उसने मेरी लाज रख ली और द्वार पर आए लोगों को भूखा नहीं जाने दिया।”
यह सुनकर फकीर बोले, “तुम, तुम्हारी ईश्वर भक्ति और आस्था धन्य है।”
