Jagannath Puri Temple : श्री जगन्नाथ मंदिर का खजाना फिर चर्चा में, 2026 में खजाने की कीमती वस्तुओं की होगी गिनती

Edited By Updated: 25 Dec, 2025 09:49 AM

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Jagannath Puri Temple :  पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को लेकर एक अहम अपडेट सामने आया है। हाई-लेवल कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस बिस्वनाथ रथ ने जानकारी दी है कि मंदिर के खजाने में सुरक्षित रखी गई बहुमूल्य वस्तुओं की इन्वेंट्री नए साल 2026 की...

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Jagannath Puri Temple :  पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को लेकर एक अहम अपडेट सामने आया है। हाई-लेवल कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस बिस्वनाथ रथ ने जानकारी दी है कि मंदिर के खजाने में सुरक्षित रखी गई बहुमूल्य वस्तुओं की इन्वेंट्री नए साल 2026 की शुरुआत में शुरू किए जाने की तैयारी है। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि फिलहाल इसकी अंतिम तारीख तय नहीं की गई है।

कटक में मीडिया से बातचीत करते हुए जस्टिस रथ ने बताया कि समिति की कोशिश है कि जनवरी से रत्न भंडार में रखे आभूषणों और अन्य कीमती वस्तुओं की गिनती शुरू की जाए। इस संबंध में 27 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित है, जिसमें आगे की प्रक्रिया पर चर्चा की जाएगी।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने बताया कि 27 दिसंबर की बैठक में इन्वेंट्री प्रक्रिया के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) पर विचार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले रत्न भंडार की आखिरी इन्वेंट्री वर्ष 1978 में की गई थी, जिसे पूरा होने में करीब 72 दिन लगे थे।

जस्टिस रथ के अनुसार, आगामी इन्वेंट्री के दौरान रत्न भंडार में मौजूद हर वस्तु की गिनती की जाएगी और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कार्य खजाने के अंदरूनी कक्ष में ही किया जाएगा। नई सूची का मिलान 1978 की इन्वेंट्री से भी किया जाएगा, ताकि रिकॉर्ड पूरी तरह स्पष्ट रहे।

गौरतलब है कि रत्न भंडार को लगभग चार दशक बाद वर्ष 2024 में मरम्मत और संरक्षण कार्यों के लिए खोला गया था। ये कार्य जुलाई 2025 में पूरे हुए, जिसके बाद सभी कीमती वस्तुओं को फिर से खजाने में सुरक्षित रखा गया।

जस्टिस रथ ने यह भी स्पष्ट किया कि इन्वेंट्री मंदिर की परंपराओं और दैनिक पूजा-अनुष्ठानों को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। उनका कहना है कि इस बार प्रक्रिया को पिछली बार की तुलना में कम समय में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पहले जहां मिट्टी के दीयों की रोशनी में गिनती करनी पड़ती थी, वहीं अब बिजली की व्यवस्था होने से काम अधिक सुगम होगा। साथ ही, खजाने में मौजूद गहनों और बहुमूल्य वस्तुओं को डिजिटल रिकॉर्ड में भी दर्ज किया जाएगा।

SJTA के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 27 दिसंबर की बैठक में यह भी तय किया जाएगा कि इन वस्तुओं को भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की रोजाना की ‘नीति-कांति’ यानी धार्मिक रस्मों में किसी प्रकार की बाधा डाले बिना कैसे संभाला, तौला और दस्तावेज़ीकृत किया जाए।

पुरी के गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब की अध्यक्षता वाली श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति इस SOP की समीक्षा करेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूरी प्रक्रिया मंदिर की प्राचीन परंपराओं और मर्यादाओं के अनुरूप हो। वहीं, राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने संकेत दिया है कि पूरी इन्वेंट्री प्रक्रिया में लगभग चार महीने तक का समय लग सकता है।

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