Kalashtami 2020: आज करें भगवान शंकर के अंश को समर्पित इन प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन

Edited By Jyoti,Updated: 17 Jan, 2020 11:17 AM

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हिंदू धर्म में कुल 33 कोटि देवी-देवता हैं, जिनमें हर किसी के अपने इष्ट व प्रिय देव हैं। मगर ऐसा कहा जता है कि देश में सबसे ज्यादा अनुयायी देवों के देव महादेव भगवान शंकर के हैं।

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हिंदू धर्म में कुल 33 कोटि देवी-देवता हैं, जिनमें हर किसी के अपने इष्ट व प्रिय देव हैं। मगर ऐसा कहा जता है कि देश में सबसे ज्यादा अनुयायी देवों के देव महादेव भगवान शंकर के हैं। इसका कारण है इनका भोलापन, इनकी मनोहिनी सूरत जिसका पुराणों में बहुत अच्छे से वर्णन किया गया। कहीं ये लिंग के रूप में पूजे जाते हैं तो कहीं इनकी विशाल मूर्तियां स्थापित हैं। तो वहीं इनके कुछ जगहों पर इनके अवतारों की विधिवत पूजा ती जाती है। शायद आप में से कुछ लोग समझ ही गए होंगे कि हम इनके किस अवतार की बात कर रहे हैं। काल अष्टमी के इस खास अवसर पर हम बात कर रहे हैं शिव जी के अंश तथा अवतार कहलाने वाले बाबा भैरव नाथ की।
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शास्त्रों में इनके स्वरूप को संपूर्ण रूप से परात्पर शंकर ही कहा गया है। इनकी महत्वता असंदिग्ध हैं, आपत्ति-विपत्ति के विनाशक एवं मनोकामना पूर्ति के देव हैं। साथ ही इसमें इनकी पूजा से होने वाले लाभों का भी वर्णन किया गया है। बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान शंकर के अंश से दो अवतार प्रकट हुए थे जिसमें से एक काल भैरव तथा बटुक भैरव जिन्हें आनंद भैरव भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं काल अष्टमी के इस मौके पर इनके कुछ प्राचीन मंदिरों के बारे में-

मथुरा में स्थित पाताल भैरव मंदिर व नागपुर (विदर्भ) का पाताल भैरव मंदिर तथा काकाधाम देवघर का पाताल भैरव मंदिर भी सुख्यात है। भारत के दक्षिण-पश्चिम में प्रमुखत: मालवा व राजस्थान में हर गांव में देवी स्थल में देवी की पिंडियों के साथ एक पिंडी भैरव की भी होती है।

नई दिल्ली (बटुक भैरव मंदिर): नई दिल्ली के विनय मार्ग पर नेहरू पार्क में स्थित बटुक भैरव मंदिर स्थित है। बताया जाता है यहां बटुक भैरव की प्रतिमा को विशेष प्रकार से एक कुएं के ऊपर विराजित किया गया है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल के दौरान पांडवों द्वारा निर्मित किया गया था।  
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बटुक भैरव मंदिर पांडव किला (दिल्ली): कहा जाता है भीमसेन द्वारा लाए गए भैरव दिल्ली से बाहर ही विराज गए तो पांडव बड़े चिंतित हुए। उनकी चिंता देखकर बटुक भैरव ने उन्हें अपनी दो जटाएं दे दीं और उसे नीचे रख कर दूसरी भैरव मूर्ति उस पर स्थापित करने का निर्देश दिया। तब पांडव किले में मंदिर मानकर जटा के ऊपर प्रतिमा बैठाई गई, जो अब तक पूजित है।

घोड़ाखाड़ (नैनीताल) बटुक भैरव मंदिर: पहाड़ी पर स्थित एक विस्तृत प्रांगण में एक मंदिर में विराजित इस श्वेत गोल प्रतिमा की पूजा के लिए प्रतिदिन श्रद्धालु भक्त पहुंचते हैं। यहां महाकाली का मंदिर भी है। भक्तगण यहां पीतल के छोटे-बड़े घंटे व घंटियां लगाते रहते हैं, जिनकी गणना करना कठिन है, सीढिय़ों सहित मंदिर प्रांगण घंटे-घंटी से पड़े हैं।
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