Edited By Jyoti,Updated: 28 Aug, 2021 03:06 PM

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बाल गोपाल यानि भगवान श्री कृृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। जो इस वर्ष 30 अगस्त
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हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बाल गोपाल यानि भगवान श्री कृृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। जो इस वर्ष 30 अगस्त दिन सोमवार को पड़ रहा है। यूं तो इस दिन का अपना अलग ही महत्व हैै क्योंकि इस श्री हरि विष्णु ने पापियों के अंत के लिए श्री कृष्ण रूप में अवतरण लिया था। परंतु इस बार ये खास दिन अधिक विशेष मानी जा रही है। इसका कारण है इस पावन दिन बन रहे विशेष संयोग। जी हां, ज्योतिष शास्त्री बता रहे हैं कि इस बार की जन्माष्टमी पर कई तरह के शुभ संयोग बन रहे हैं। तो आइए जानते हैं कौन से हैं ये शुभ व विशेष संयोग-
धार्मिक व ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार विष्णु भगवान ने 8वें अवतार श्री कृष्ण के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 7 मुहूर्त निकलने के उपरांत 8वें उपस्थित मुहूर्त के दौरान आधी रात के समय सबसे शुभ लगन में जन्म लिया था। कहा जाता है उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। जब इनका जन्म हुआ तब रोहिणी नश्रक्ष तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व ॉ था। ज्योतिषियों का मानना है कि उस वक्त रात 12 बजे शून्य काल था।
2. इस बार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त 2021 रविवार को रात 11 बजकर 25 मिनट से हो रहा है। जिसका समापन 30 अगस्त दिन सोमवार को देर रात 01 बजकर 59 मिनट पर होगा।
तो वहीं रोहिणी नक्षत्र का प्रारम्भ 30 अगस्त को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से हो रहा है, जबकि इसका समापन 31 अगस्त को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर होगा।
चूंंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था इसलिए व्रत के लिए उदया तिथि मान्य है। अतः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व 30 अगस्त को रहेगा और जातक दिनभर व्रत रख सकते हैं। इस स्थिति में आप 31 अगस्त को प्रात: 09 बजकर 44 मिनट के बाद पारण कर सकते हैं क्योंकि इस समय ही रोहिणी नक्षत्र का समापन होगा।
बता दें व्रत रखने वाले लोग मुख्यत: दिनभर व्रत करते हैं और रात्रि में बाल गोपाल श्रीकृष्ण के जन्म के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं और उसी समय अन्न ग्रहण करके व्रत का पारण कर लेते हैं। हालांकि कुछ लोग अगले दिन प्रात: पारण करते हैं।
ज्योतिष शास्त्री का कहना है कि जो लोग रात्रि में ही पारण करता चाहते हैं तो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा का मुहूर्त 30 अगस्त को रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इसके बाद पारण किया जा सकता है।
निशित काल 30 अगस्त रात 11:59 से लेकर सुबह 12:44 तक
अभिजित मुहूर्त सुबह 11:56 से लेकर दोपहर 12:47 तक
गोधूलि मुहूर्त शाम 06:32 से लेकर शाम 06:56 तक रहेगा।
आनन्दादि योग सुस्थिर- प्रातः 06:39 सुबह के बाद वर्धमान।
सर्वार्थसिद्धि योग 30 अगस्त- प्रातः 6:39 से 31 अगस्त प्रतः 06:12
व्याघात योग 29 अगस्त प्रातः 06:44 से प्रातः 07:46 तक
इसके बाद हर्षण योग 30 अगस्त- प्रातः 07:46 से 31 अगस्त प्रातः 08:48 तक रहेगा।
इसके अतिरिक्त ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य और मंगल लग्न में स्थित सिंह राशि में रहने वाले हैं। चंद्र और राहु कर्म भाव में वृषभ राशि में और केतु वृश्चिक चतुर्थभाव में रहेंगे। शुक्र और बुद्ध दूसरे भाव में कन्या राशि में रहेंगे। शनि छठें भाव में मकर राशि में रहेंगे और गुरु सप्तम भाव में कुंभ राशि में रहेंगे।