जानें, आपकी Love marriage होगी या Arrange marriage

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Oct, 2021 08:41 AM

love or arranged marriage

भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू व केतु नवग्रह हैं लेकिन प्रेम विवाह का विचार ग्रह चंद्र, मंगल और शुक्र से ही किया जाता है। पुरुष कुंडली में यौन जीवन का कारक शुक्र तथा स्त्री की जन्म कुंडली में मंगल माना...

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Can astrology predict Love Marriage or arranged marriage: भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू व केतु नवग्रह हैं लेकिन प्रेम विवाह का विचार ग्रह चंद्र, मंगल और शुक्र से ही किया जाता है। पुरुष कुंडली में यौन जीवन का कारक शुक्र तथा स्त्री की जन्म कुंडली में मंगल माना जाता है। चंद्र, बुध, बृहस्पति और शुक्र शुभ ग्रह हैं। सूर्य, मंगल, शनि, राहू और केतु अशुभ ग्रह कहे जाते हैं। शुक्र प्रेम का कारक ग्रह है। दिव्यता और सचरित्रता का कारक बृहस्पति है। चंद्र प्रथम दर्शन में ही प्रेम और आकर्षण संवेदनशीलता, काव्यमयता और रसिकता का कारक ग्रह है। मंगल साहस, हिम्मत, विजय, निर्भयता, जोखिम पूर्ण भावना को प्रदर्शित करने वाला ग्रह है। वैसे तो हर ग्रह का अपना अलग-अलग प्रभाव है किन्तु शुक्र-चंद्र, शुक्र-मंगल, शुक्र-चंद्र, शुक्र-मंगल, शुक्र-शनि, शुक्र-चंद्र-मंगल आदि ग्रहों का योग मनुष्य में विचित्रता उत्पन्न कर देता है।

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How can I know my marriage is love or arranged प्रेम विवाह योग
जन्म कुंडली में मंगल यदि सप्तम भाव या उसके स्वामी से संबंधित होता है तो संभवत: जातक का प्रेम विवाह ही होता है।

जब शुक्र-शनि या राहू द्वारा दृष्ट हो या शुक्र की शनि या राहू से युति हो तो जातक के प्रेम विवाह के अवसर बनते हैं।

शुक्र यदि लग्न भाव से या उसके स्वामी से या सप्तम या उसके स्वामी या सप्तम भाव में स्थित ग्रह से संबंधित होता है तो प्रेम विवाह योग होता है।

मंगल यदि पंचम भाव या उसके स्वामी से संबंधित होता है तो प्रेम विवाह योग बनता है।

यदि चंद्र का लग्न भाव से संबंध हो या उसके स्वामी का सप्तम भाव, उसके स्वामी या सप्तम भाव में स्थित ग्रह से संबंध हो तो प्रेम विवाह योग बनता है।

शुक्र का शुभ ग्रहों के साथ योग तथा जन्म कुंडली के प्रथम भाव, पंचम भाव और नवम भाव पर गुरु का प्रभाव हो, लग्न भाव में शुभ राशि और शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तथा मंगल और पंचम भाव बलवान हो तो जातक चरित्रवान आदर्श प्रेमी होता है। उस व्यक्ति का प्रेम उच्च कोटि का होता है।

पंचम भाव के स्वामी का सप्तम भाव से या उसके स्वामी से या सप्तम भाव में स्थित ग्रह से संबंध हो तो जातक का प्रेम विवाह होता है।

यदि जन्म कुंडली में शुक्र का अशुभ, ग्रह विशेष का मंगल और राहू के साथ युति का संबंध होता है तो ऐसा प्रेम वासनामय अधिक होता है।

शुक्र और चंद्र की युति से जातक के प्रेम में रसिकता, आकर्षण, एकात्मकता होती है। शुक्र और गुरु का संबंधित योग जातक का आध्यात्मिक प्रेम योग बतलाता है।

पंचम भाव में शुक्र और चंद्र की युति, पंचमेश का शुक्र और चंद्र से संबंध प्रेम विवाह योग बनाता है।

जन्म कुंडली में पंचम भाव, सप्तम भाव तथा एकादश भाव के स्वामियों में परस्पर संबंध हो तो प्रेम विवाह योग होता है।

पंचम भाव और सप्तम भाव के स्वामियों का परिवर्तन योग, पंचमेश और सप्तमेश की युति तथा पंचमेश और सप्तमेश में दृष्टि संबंध हो तो प्रेम विवाह योग होता है।

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प्रेम में असफल होने के योग
यदि जातक की कुंडली में सप्तमेश पीड़ित हो तो ऐसे जातक प्राय: प्रेम  तो करते हैं परंतु प्रेम विवाह करने में असफल सिद्ध होते हैं। अत्यंत प्रयासों के पश्चात भी ऐसे प्रेमियों को प्रेम विवाह में सफलता नहीं मिल पाती है।

यदि कुंडली में पंचमेश एवं सप्तमेश दोनों षष्ठ, अष्टम अथवा द्वादश भावों में स्थित हों तो ऐसे जातक को प्रेम संबंधों में कुछ सीमा तक सफलता मिलती है परंतु वह पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाता है।

यदि किसी कुंडली में पंचमेश, सप्तमेश दोनों पीड़ित हों तथा अपने भावों को न देखें तो ऐसे व्यक्ति को प्रेम में धोखा व असफलता मिलती है।

यदि जातक की कुंडली में शुक्र सप्तमेश होकर पीड़ित एवं निर्बल हो तो ऐसे जातक को अपने प्रेम संबंधों में सफलता नहीं मिलती है। ऐसे जातक का प्रेम एकतरफा होता है। 

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