Maharana Pratap Jayanti: इनकी तलवार की छनक से अकबर भी घबराता था

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 May, 2020 07:19 AM

maharana pratap jayanti

महाराणा प्रताप हिन्दू शासक थे। सोलहवीं शताब्दी के राजपूत शासकों में महाराणा प्रताप ऐसे शासक थे, जो अकबर को लगातार टक्कर देते रहे। विक्रमी संवत् कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष तृतीया तथा वर्तमान कैलेंडर के मुताबिक 1 मई, 1540 को...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Maharana Pratap Jayanti 2020: महाराणा प्रताप हिन्दू शासक थे। सोलहवीं शताब्दी के राजपूत शासकों में महाराणा प्रताप ऐसे शासक थे, जो अकबर को लगातार टक्कर देते रहे। विक्रमी संवत् कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष तृतीया तथा वर्तमान कैलेंडर के मुताबिक 1 मई, 1540 को महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ किले में हुआ था। वह उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के बेटे थे। दुश्मन भी उनकी युद्धकला की तारीफ करते थे। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुंदा में हुआ था। प्रताप ऐसे योद्धा थे जो कभी मुगलों के आगे नहीं झुके। इतिहासकारों के मुताबिक,  प्रताप का जन्म हुआ और महाराणा उदय सिंह का भाग्योदय होने लगा। उनके जन्म के साथ ही महाराणा उदय सिंह ने खोए हुए चित्तौड़ किले को जीत लिया था। इस विजय यात्रा में जयवंता बाई भी उदय सिंह के साथ थीं। 

PunjabKesari Maharana Pratap Jayanti
चित्तौड़ विजय के साथ उदय सिंह ने कई राजघरानों में शादियां कीं जिसके बाद प्रताप की मां जयवंता बाई के खिलाफ षड्यंत्र शुरू हो गया। जयवंता बाई बालक प्रताप को लेकर चित्तौड़ दुर्ग से नीचे बनी हवेली में रहने लगीं। यहीं से प्रताप का प्रशिक्षण शुरू हुआ। प्रताप की मां जयवंता बाई खुद एक घुड़सवार थीं और उन्होंने अपने बेटे को भी दुनिया का बेहतरीन घुड़सवार और शूरवीर बनाया।

PunjabKesari Maharana Pratap Jayanti
वह कृष्ण भक्त थीं इसलिए श्री कृष्ण के युद्ध कौशल को भी प्रताप के जीवन में उतार दिया। उन्हें प्रशासनिक दक्षता सिखाई और रणनीतिकार बनाया। चारण रामा सांदू ने आंखों देखा हाल लिखा है कि प्रताप ने मान सिंह पर वार किया। वह झुक कर बच गया, महावत मारा गया। बेकाबू हाथी को मान सिंह ने संभाल लिया। सबको भ्रम हुआ कि मान सिंह मर गया। दूसरे ही पल बहलोल खां पर प्रताप ने ऐसा वार किया कि सिर से घोड़े तक दो टुकड़े कर दिए। युद्ध में प्रताप को बंदूक की गोली सहित आठ बड़े घाव लगे थे। तीर-तलवार की अनगिनत खरोंचें थीं। प्रताप के घावों को कालोड़ा में मरहम मिला। 

PunjabKesari Maharana Pratap Jayanti

इस पर बदायूनी लिखते हैं कि ऐसे वीर की ख्याति  लिखते हुए मेरी कलम भी रुक जाती है। महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनकी छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और कद 7 फुट 5 इंच था। सन् 1576 के हल्दी घाटी युद्ध में करीब बीस हजार राजपूतों को साथ लेकर महाराणा प्रताप ने राजा मान सिंह के 80,000 की सेना का सामना किया। महाराणा प्रताप के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था, जिसका नाम ‘चेतक’ था। इस युद्ध में अश्व चेतक की भी मृत्यु हुई। शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा को शक्ति सिंह ने बचाया। यह युद्ध केवल एक दिन चला परंतु इसमें सत्रह हजार लोग मारे गए। मेवाड़ को जीतने के लिए अकबर ने भी सभी प्रयास किए। महाराणा ने अकबर की अधीनता को स्वीकार नहीं किया और कई वर्षों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!