Edited By Sarita Thapa,Updated: 13 Sep, 2025 02:02 PM

Mahatma Gandhi Story: महात्मा गांधी के आश्रम में देश ही नहीं विदेशों से भी ऐसे युवा आते थे जिनके मन में देश सेवा की आकांक्षा होती थी। हालांकि सेवा का सही मतलब न समझने की वजह से कई बार ऐसे युवकों को बापू की झिड़कियां भी सुननी पड़ जाती थीं।
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Mahatma Gandhi Story: महात्मा गांधी के आश्रम में देश ही नहीं विदेशों से भी ऐसे युवा आते थे जिनके मन में देश सेवा की आकांक्षा होती थी। हालांकि सेवा का सही मतलब न समझने की वजह से कई बार ऐसे युवकों को बापू की झिड़कियां भी सुननी पड़ जाती थीं। ऐसी ही एक घटना तब हुई जब एक दिन पास के गांव से एक बूढ़ी गरीब महिला गांधी जी से खुजली की दवा लेने आई।

गांधी जी ने आश्रम में विदेश से आए एक युवा डॉक्टर को बुलाकर कहा, “इस महिला को नीम की पत्तियां पीसकर खिलाओ और छाछ पिलाओ।” उसे यह काम सौंप कर गांधी जी दूसरे काम में लग गए।
डॉक्टर ने मरिज से धैर्यपूर्वक बातचीत की और उसकी समस्या के बारे में तसल्ली से पूरी जानकारी लेने के बाद कहा, “बापू ने बिल्कुल ठीक कहा है। नीम की पत्तियां पीसकर खाओ और छाछ पियो, इससे जरूर फायदा होगा।”
दो-तीन दिन बाद डॉक्टर उस महिला का हालचाल लेने खुद उसके गांव गए। वहां महिला से मिले तो उसकी अवस्था में कोई सुधार नहीं दिखा। डॉक्टर साहब ने महिला से पूछा, “तुमने कितनी बार छाछ पी है?”

उस महिला ने दुखी स्वर में बताया कि वह उपलब्ध न होने के कारण छाछ नहीं पी सकी। डॉक्टर ने आश्रम लौट कर जैसे ही गांधी जी को बताया कि उस महिला ने उनके कहे मुताबिक छाछ पी ही नहीं, इसलिए उसकी खुजली ज्यों की त्यों है, उनकी शामत आ गई।
गुस्से और दुख से गांधी जी बोले- जब कहा था उस बूढ़ी महिला को छाछ पिलाना तो इसका मतलब था कि छाछ का इंतजाम करके उसे पिलाना, न कि उसे छाछ पीने का उपदेश देकर चले आना। तुम यह नहीं देख पाए कि वह गरीब महिला खुद छाछ का इंतजाम नहीं कर सकती। क्या ऐसे ही गांव वालों की सेवा करोगे? डॉक्टर को अपनी भूल का अहसास हो चुका था।
