Makar Sankranti: केवल सूर्य ही नहीं, हिंदू धर्म के इस देवता से भी है उत्तरायण का संबंध

Edited By Updated: 14 Jan, 2020 02:34 PM

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जैसे कि हमने आपको बताया कि पंचांग मतभेद के अनुसार देश के कुछ हिस्सों में आज यानि 14 जनवरी को तो कुछ जगहों पर 15 जनवरी, 2020 को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है।

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जैसे कि हमने आपको बताया कि पंचांग मतभेद के अनुसार देश के कुछ हिस्सों में आज यानि 14 जनवरी को तो कुछ जगहों पर 15 जनवरी, 2020 को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है। मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा स्नान तथा सूर्य पूजा का अधिक महत्व होता है। दरअसल इस दिन सूर्य अपनी राशि बदलते हैं जिसमें वो धनु से निकलकर मकर में प्रवेश करते हैं। इसे सूर्य उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। बता दें दक्षिणायन से होता इस उत्तरायन के बाद सभी शुभ कार्य एक बाद फिर से आरंभ हो जाते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जिस कारण इस त्यौहार का महत्व अधिक बढ़ जाता है। मगर बहुत से लोगों को इसके महत्व के बारे में नहीं पता तो अगर आप भी जानना चाहते हैं इससे जुड़े महत्व के बारे में तो आगे दी जानकारी ज़रूर पढ़ें।
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कहा जाता है इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए आते हैं। बता दें मकर राशि के स्वामी शनि हैं और इस ऐसा कहा जाता है सूर्य देव अपने पुत्र के घर में निवास करते हैं। तथा शनि महाराज का भंडार भरते हैं।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो सूर्य देव और तथा उनके पुत्र शनि का ताल मेल संभव नहीं है मगर इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हैं। जिस कारण पुराणों में यह दिन पिता-पुत्र के संबंधों में निकटता की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। इसलिए भी इस दिन को हिंदू धर्म में खास कहा गया है।
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कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने मधु कैटभ से युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी तथा मधु के कंधे पर मंदार पर्वत रखकर उसे दबा दिया था। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु मधुसूदन कहलाने लगे और इस दिन की महत्वता बढ़ गई।

मकर संक्रांति से जुड़ी एक मान्यता है गंगा मां से जुड़ी है कि जिसके अनुसार गंगा मां को धरती पर लाने वाले महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए इस दिन उनका तर्पण किया था। जिनका तर्पण करने के बाद गंगा मां समुद्र में जाकर मिल गई थी। ये भी एक बड़ा कारण है कि जो मकर सक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है।
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महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे भीष्म पितामह। पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन इच्छामृत्यु पाई थी। शास्त्रों में इन्हें मिले इस वरदान का वर्णन किया गया है। जिस कारण भीष्म बाण लगने के बाद भी ये जीवित रहे थे और मकर संक्रांति के दिन इच्छामृत्यु को प्राप्त हुए थे। कहा ये भी जाता है कि उत्तरायण में देह त्यागने वाले व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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