Manglik Mangal Dosha Effects and Remedies: जब किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल ग्रह 1, 4, 7, 8 और 12 वें घर में आ जाए तो मंगल दोष का निर्माण होता है। ये दोष मैरिड लाइफ को प्रभावित करता है। पति-पत्नी को कभी भी एक-दूसरे के करीब नहीं आने देता। दोनों में से किसी एक की सेहत भी ठीक नहीं रहती। ये उपाय करने से शादीशुदा जिंदगी में प्रेम और गरमाहट बने रहते हैं।
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Upay for Happy Married Life: पति-पत्नी दोनों एक साथ रसोई में बैठकर भोजन करें।
स्नान के बाद सूखे वस्त्र को हाथ लगाने से पहले पूर्व दिशा में मुंह करके सूर्य को अर्घ्य देकर प्रणाम करें। (सूर्य देव दिखाई दें या न दें)
शयन कक्ष में पलंग पर कांच लगे हो तो उन्हें हटा दें, मंगल का कोप नहीं रहेगा, अन्यथा उस कांच के पति-पत्नी का जो भी अंग दिखाई देगा वह रोगग्रस्त हो जाएगा।
मन का कारक चंद्रमा होता है जिसके कारण मन को चंचलता प्राप्त होती है। पति-पत्नी के बीच जब भी वाद-विवाद हो, उग्रता आने लगे तब दोनों में से कोई एक उस स्थान से हट जाए चंद्र संतुलित रहेगा।
शयन कक्ष में यदि रोजाना पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद, झगड़े जैसी घटनाएं होने लगें तो जन्म कुंडली के बारहवें भाव में पड़े ग्रह की शांति कराएं।
दाम्पत्य की दृष्टि से पत्नी को अपना सारा बनाव शृंगार (मेकअप) आदि सायंकाल या उसके पश्चात करना चाहिए जिससे गुरु, मंगल और सूर्य अनुकूल होता है। दिन में स्त्री जितना मेकअप करेगी पति से उतनी ही दूरी बढ़ेगी।
पति-पत्नी के बीच किसी मजबूरी के चलते स्वैच्छिक दूरी बढ़े तो पति-पत्नी दोनों को गहरे पीले रंग का पुखराज तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।
यह बात ध्यान रखें कि वैवाहिक जीवन में मंगल अहंकार देता है स्वाभिमान नहीं। पाप ग्रहों का प्रभाव दाम्पत्य को बिगाड़ देता है। ऐसी स्थिति में चंद्रमा के साथ जिस पाप ग्रह का प्रभाव हो उस ग्रह की शांति कराने से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है। शुक्ल पक्ष में पति-पत्नी चांदनी रात में चंद्र दर्शन कर, चंद्रमा की किरणों को अपने शरीर से अवश्य स्पर्श करवाएं।
बाग-बगीचा, नदी, समुद्र, खेत, धार्मिक स्थल एवं पर्यटन स्थलों आदि पर पति-पत्नी साथ जाएं तो श्रेष्ठ होगा। इससे गुरु व शुक्र प्रसन्न होंगे, इसके विपरीत कब्रिस्तान, कोर्ट-कचहरी, पुलिस थाना, शराब की दुकान, श्मशान व सूने जंगल आदि स्थानों पर पति-पत्नी भूलकर भी साथ न जाएं।
मंगल के कोप के कारण बार-बार संतान गर्भ में नष्ट होने से पति-पत्नी के बीच तनाव, रोग एवं परेशानियों उत्पन्न होती हैं, ऐसी स्थिति में पति-पत्नी के बीच कलह, वाद-विवाद व अलगाव संभावित है। गणपति स्तोत्र, देवी कवच, लक्ष्मी स्तोत्र, कार्तिकेय स्तोत्र एवं कुमार कार्तिकेय की नित्य पूजा-अर्चना एवं पाठ करना चाहिए।