मंगल देव से जुड़ा है उज्जैन के इस मंदिर का रहस्य!

Edited By Jyoti,Updated: 11 Nov, 2020 04:53 PM

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भारत में मंदिरों की अनगिनत भरमार हैं, इन्ही में से एक मंदिर है शिव की नगरी उज्जनै में स्थित है। हम बात कर रहे हैं मंगलनाथ मंदिर की। यकीनन आप में से बहुकत से लोग सही सोच रहे होंगे कि चूंकि उज्जैन शिव की नगरी कहलाती है

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भारत में मंदिरों की अनगिनत भरमार हैं, इन्ही में से एक मंदिर है शिव की नगरी उज्जनै में स्थित है। हम बात कर रहे हैं मंगलनाथ मंदिर की। यकीनन आप में से बहुकत से लोग सही सोच रहे होंगे कि चूंकि उज्जैन शिव की नगरी कहलाती है, तो यकीनन ये मंदिर भी शिव जी को ही समर्पित होगा। तो आपको बता दें आप सही सोच रहे हैं, मगर इस मंदिर का रहस्य नवग्रह में क्रूर कहे जाने वाल मंगल से जुड़ा हुआ है। जी हां, कहा जाता है मंगलनाथ नामक इस मंदिर में भगवान शिव जी की कृपा से मंगल ग्रह के स्वामी मंगल देव की उत्पत्ति हुई थी। जिस कारण इसे मंगल की जननी के नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं मंदिर के रहस्य में इस बात का राज़ भी छिपा हुआ है कि आखिर मंगल ग्रह लाल क्यों है।
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चलिए जानते हैं इस मंदिर की खासियत के साथ-साथ मंगल ग्रह से संबंधित खास जानकारी-
मंदिर के ठीक ऊपर स्थित है मंगल ग्रह
मध्‍य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में स्थित इस मंगलनाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ठीक इस मंदिर के ठीक ऊपर आकाश में मंगल ग्रह स्थित है। मत्स्यपुराण एवं स्कंदपुराण में भी मंगल देव के संबंध में सविस्तार उल्लेख किया गया है। जिसके अनुसार उज्जैन में ही मंगल देव की उत्पत्ति हुई थी और मंगलनाथ मंदिर ही वही स्थान है जहां इनका जन्म स्थान है जिस कारण से यह मंदिर दैवीय गुणों से युक्त माना जाता है।
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क्यों है लाल मंगल ग्रह की धरती
स्कंद पुराण के अवंतिका खंड के अनुसार शिव जी ने अंधकासुर नामक दैत्य को वरदान दिया था कि उसके रक्त से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे। भगवान शंकर से यह वरदान पाने के बाद इस दैत्य ने अवंतिका में तबाही मचा दी। तब देवताओं ने शिव जी से प्रार्थना की।

इनके कष्टों को दूर करने के लिए स्वयं शिव शंभु ने अंधकासुर से युद्ध किया। दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिस दौरान महादेव का पसीना बहने लगा। भगवान रुद्र के पसीने की बूंद की गर्मी से उज्जैन की धरती फटकर दो भागों में विभक्त हो गई। जिससे मंगल ग्रह का जन्म हुआ। कथाओं के अनुसार शिव जी ने दैत्य का संहार किया और उसकी रक्त की बूंदों को नव उत्पन्न मंगल ग्रह ने अपने अंदर समा लिया। ऐसा कहा जाता है कि यही कारण है मंगल की धरती लाल रंग की है।
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मंगल की उपासना
मान्‍यता है कि यहां पूजा करने वाले जातक को मंगल-दोष से अति शीघ्र छुटकारा मिलता है। बताया जाता है कुछ मान्यताओं के अनुसार मंगल देव को भगवान शिव और पृथ्वी का पुत्र भी कहा कहा गया है। जिसके चलते मंदिर में मंगल की उपासना शिव रूप में भी की जाती है।

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