Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Jul, 2025 09:09 AM

Sawan 2025 second Mangla gauri vrat: सावन माह का पहला मंगला गौरी व्रत (First Mangal Gauri Vrat 2025) 15 जुलाई 2025 को था। दूसरा मंगला गौरी व्रत (Second Mangal Gauri Vrat 2025) 22 जुलाई 2025 को रखा जाएगा। मंगलागौरी व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों...
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Sawan 2025 second Mangla gauri vrat: सावन माह का पहला मंगला गौरी व्रत (First Mangal Gauri Vrat 2025) 15 जुलाई 2025 को था। दूसरा मंगला गौरी व्रत (Second Mangal Gauri Vrat 2025) 22 जुलाई 2025 को रखा जाएगा। मंगलागौरी व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु, सुखी दांपत्य जीवन और संतान सुख के लिए किया जाता है। यह व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है और खासतौर पर पहले 5 साल तक नवविवाहिता महिलाओं द्वारा रखा जाता है।
Mangla Gauri Vrat Katha: पीढ़ियों तक कुल और सुहाग की रक्षा के लिए पढ़ें, मंगला गौरी व्रत कथा

मंगलागौरी व्रत मां पार्वती को समर्पित है, जो सौभाग्य, समृद्धि और सुखद वैवाहिक जीवन की देवी मानी जाती हैं। मंगलागौरी व्रत करने से पति की आयु लंबी होती है, दाम्पत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। संतान की प्राप्ति और घर में शांति के लिए यह व्रत बहुत फलदायक माना गया है। विशेष रूप से यह व्रत गौरी माता की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है ताकि स्त्री को सौभाग्यवती बनने का वरदान मिले।
दूसरे मंगलागौरी व्रत की पूजा विधि:
पूर्व तैयारी: सोमवार रात को ही सात्विक भोजन करें और मंगलवार को निर्जल व्रत रखें (कुछ स्थानों पर फलाहार की अनुमति होती है)। घर को साफ करें और पूजा स्थान को स्वच्छ वस्त्र बिछाकर सजाएं।
मंगलागौरी व्रत पूजा सामग्री: गौरी माता की प्रतिमा या चित्र, पांच सुपारी, चावल, हल्दी, कुमकुम, रोली, फूल, दीपक, नैवेद्य (खीर, लड्डू आदि), जल कलश, रोली से बने हाथ के बने मंगल चित्र (मांडना), नई लाल साड़ी या चुनरी (गौरी माँ को ओढ़ाने हेतु), सौभाग्य सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, काजल, महावर आदि), गेहूं या चावल का बना चौक

मंगलागौरी व्रत पूजा विधि: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और संकल्प लें। गौरी माता की प्रतिमा या चित्र को चौकी पर स्थापित करें और उन्हें लाल चुनरी, फूल, चूड़ी, सिंदूर आदि सौभाग्य सामग्री अर्पित करें। एक थाली में पांच सुपारियां रखें जो पंचब्रह्मा के प्रतीक मानी जाती हैं। मां गौरी को धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, फल आदि अर्पित करें। अब करें गौरी मां की कथा, श्रवण या पाठ। कथा के दौरान ध्यान रखें कि व्रती महिला शांति से बैठकर श्रद्धा से कथा सुने।
मंगलागौरी व्रत कथा (संक्षेप में):
प्राचीन काल में एक नवविवाहिता स्त्री हर मंगलवार को मंगलागौरी व्रत करती थी। एक दिन उसकी सासु मां ने देखा कि वह कुछ विशेष पूजा करती है। सासु मां ने पूछा तो बहू ने बताया कि वह मंगलागौरी व्रत करती है। सासु मां ने मज़ाक उड़ाया लेकिन बहू ने फिर भी श्रद्धा नहीं छोड़ी। कुछ समय बाद उसका पति एक भयंकर दुर्घटना से बच गया। तब सबको समझ आया कि यह मां गौरी की कृपा से हुआ। उस दिन से सभी ने इस व्रत का महत्व जाना।
आरती करें, व्रत पूर्ण होने पर सभी को प्रसाद बांटें। शाम को व्रत खोलें, जल या फल ग्रहण कर सकते हैं।
