Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Nov, 2021 09:39 AM
यह सुविदित है कि भारतीय संस्कृति एवं धर्म समाज कल्याण से जुड़ा है। भारतीय जीवन पद्धति में जीवन के लिए आवश्यक संस्कारों को महत्व दिया गया है। जीवन के प्रत्येक सोपान का उद्देश्य, समय, प्रयोजन और उसकी धर्मशास्त्रीय व्याख्या
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Manglik Chinh: यह सुविदित है कि भारतीय संस्कृति एवं धर्म समाज कल्याण से जुड़ा है। भारतीय जीवन पद्धति में जीवन के लिए आवश्यक संस्कारों को महत्व दिया गया है। जीवन के प्रत्येक सोपान का उद्देश्य, समय, प्रयोजन और उसकी धर्मशास्त्रीय व्याख्या से प्रत्येक संस्कार का महत्व स्पष्ट हो जाता है। धार्मिक भावना को देश और समय की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। यहां महत्वपूर्ण यह है कि धार्मिक चिंतन एवं परम्पराएं किसी वर्ग विशेष की अनुकंपा पर आधारित भी नहीं हैं।
संस्कृति के इस पहलू को जानने की जिज्ञासा प्रारंभ से आज तक सभी को रही है हमारे ऋषि-मुनि अपने कठिन तप एवं साधना के द्वारा धार्मिक कृत्यों एवं इससे संबद्ध मांगलिक चिन्हों के रूप, रंग, प्रकार एवं अर्थ को मानव जीवन हेतु कल्याणकारी ऊर्जा के स्रोत और प्रतीक के रूप में प्रदान कर गए हैं क्योंकि उनको पहले से ही ऐसा आभास था कि भविष्य में हर कोई प्राणी अपने घर, परिवार, आजीविका के चक्कर में लम्बे और जटिल पूजा, आराधना, जप, एवं सिद्धि से दूर हो जाएगा इसलिए हमारे पूर्वजों ने मांगलिक चिन्हों को धार्मिक क्रिया-कलाप एवं नारायण के रूप के लिए प्रयोग करने का परामर्श दिया।
इसमें स्वास्तिक, कलश, ओम आदि का महत्व और चलन सुविदित है। यह मानने में कोई बाधा नहीं है कि ये चिन्ह समय, समाज और ऋषि-मुनियों द्वारा लम्बे समय से प्रमाणित हैं।