Manglik dosh: पूरे शास्त्रीय प्रमाण के साथ देखिए मंगल दोष रद्द होने का A to Z विश्लेषण

Edited By Prachi Sharma,Updated: 12 Mar, 2024 07:51 AM

आज इस आर्टिकल में बात करेंगे मंगल और मांगलिक दोष के बारे में। ज्योतिष में 7 ग्रह होते हैं, राहु और केतु छाया ग्रह है। मंगल अग्नि तत्व का ग्रह है। जब

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Manglik dosh: आज इस आर्टिकल में बात करेंगे मंगल और मांगलिक दोष के बारे में। ज्योतिष में 7 ग्रह होते हैं, राहु और केतु छाया ग्रह है। मंगल अग्नि तत्व का ग्रह है। जब उसका प्रभाव सप्तम भाव पर पड़ता है कुंडली में तो मांगलिक दोष समझा जाता है। आपकी कुंडली में लग्न में मंगल हो गया सातवीं दृष्टि सीधा सप्तम स्थान के ऊपर पड़ेगी ये शादी का स्थान है। अष्टम में मंगल जाएगा जब सीधी दृष्टि पड़ेगी दूसरे भाव के ऊपर। दूसरा भाव फैमली का भाव है यहां पर भी मंगल की दृष्टि शुभ नहीं मानी जाती। बारहवें भाव में मंगल बैठेंगे तो अष्टम भाव से सप्तम दृष्टि को देखेंगे।

अजे लग्ने व्यये चापे पाताले बृश्चिके कुजे।
द्यूने मृगे कर्किचाष्टौ भौमदोषो न विद्यते ॥

मेष राशि का मंगल लग्न में, वृश्चिक राशि का चौथे भाव में, मकर का सातवें, कर्क राशि का आठवें, धनु राशि स्थल मंगल बारहवें में हो तो मंगल दोष क्षीण हो जाता है।

मीन राशि का मंगल सातवें भाव में था कुम्भ राशि का मंगल अष्टम में हो तो भौम दोष नहीं होता है।

न मंगली चन्द्र भृगु द्वितीये, न मंगली पश्यति यस्य जीवा।
 न मंगली केंद्रगते च राहु:, न मंगली मंगल-राहु योगे।।

यदि लग्न कुंडली में मंगली नहीं है, लेकिन चंद्र कुंडली में मंगल है, तो व्यक्ति को अन्य मांगलिक कहा जाता है। इस परिस्थिति में, कुछ मांगलिक प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन व्यक्ति पूरी तरह से मांगलिक नहीं माना जाता है। मंगल दोष क्षीण हो जाता है।

“सबले गुरौ भृगौ वा लग्ने द्यूनेऽथवाभौमे।
क्क्रे नीचारि गृहस्थे वाऽस्तेऽपि न कुज दोष:।।

बलवान गुरू या शुक्र सप्तम या लग्न भाव में हों, साथ ही मंगल नीच, अस्त, वक्री और निर्बल आदि हो, तो मंगल दोष रद्द हो जाता है।

तनु धन सुख मदनायुर्लाभ व्ययगः कुजस्तु दाम्पत्यम् ।
 विघट्यति तद् गृहेशो न विघटयति तुंगमित्रगेहेवा ॥
मुहूर्त चिंतामणि

हालाँकि पहले, दुसरे, चौथे, सातवें ,आठवें और बाहरवें भावों में स्थित मंगल वर-वधु एक वैवाहिक जीवन में विघटन उत्पन्न करता है परन्तु यदि मंगल अपने घर ( मेष या वृश्चिक राशि ) का हो, उच्चस्थ (मकर) का हो या मित्र राशि का हो तो मंगल दोष कारक नहीं होता

लग्ने क्रूरा व्यये क्रूरा धने क्रूराः कुजस्तथा ।
सप्तमे भवने क्रूराः परिवार क्षयंकराः ॥

वर-कन्या कुंडली में मांगलिक दोष एव उसके परिवार का निर्णय अत्यंत करना चाहिए। केवल 1,4, 7,8 अदि भावों में मंगल को देखकर दाम्पत्य जीवन के सावधानीपूर्वक दुःख-निर्णय कर देना उपयुक्त नहीं।

इसके बावजूद भी कुछ ऐसे केस जरूर होते हैं, जहां मंगल का विचार अवश्य करना चाहिए। कुंडली में कुल 12 भाव और 12 राशियां  होती हैं। इनमे से ऐसे तीन लग्न हैं जिनको जांच-परख अवश्य लेना चाहिए।

इनमे से पहला लग्न है वृष लग्न। मंगल की मूलत्रिकोण राशि बारहवें भाव में आ गई है। कोई भी प्लानेट अपनी मूलत्रिकोण राशि का फल ज्यादा करता है। इस मंगल के साथ राहु आ जाए तो अष्टम के प्रभावों में वृद्धि देखने को मिलती है। मैरिड लाइफ खराब हो सकती है।

कन्या लग्न में मंगल की मूलत्रिकोण राशि अष्टम भाव में बैठी है। यहां पर मांगलिक का विचार जरूर करना चाहिए। इस मंगल के साथ राहु आ जाए तो ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

वृश्चिक लग्न में हालाँकि लग्नेश मंगल है। ऐसे में अगर शादी हो जाती है तो विवाद उत्पन्न हो सकता है। इस मंगल के साथ राहु आ जाए तो प्रभाव ज्यादा खराब हो जाता है।

फीमेल चार्ट में गुरु की पोजीशन में सूर्य और मंगल को देखिए ये मेल का भाव है। गुरु, मंगल और सूर्य तय करेंगे कि महिला के जीवन में मेल का सुख है के नहीं। चन्द्रमा और शुक्र की पोजीशन मेल के जीवन में फीमेल को दर्शाती है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!