Manikaran: हिमालय के खूबसूरत तीर्थ स्थल मणिकरण में लें आध्यात्म और प्रकृति का आनंद

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Mar, 2024 02:56 PM

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खूबसूरत पर्वतों से घिरा रमणीय स्थल ‘मणिकरण’ कसोल से 4 कि.मी. तथा भुंतर से 35 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 1650 मीटर है। यह स्थान चारों ओर से ऊंची पहाड़ियों से घिरा है।

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Manikaran Tourism: खूबसूरत पर्वतों से घिरा रमणीय स्थल ‘मणिकरण’ कसोल से 4 कि.मी. तथा भुंतर से 35 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 1650 मीटर है। यह स्थान चारों ओर से ऊंची पहाड़ियों से घिरा है। जिन पर ऊंचे-ऊंचे देवदार के वृक्ष इस स्थान को आकर्षक बनाते हैं। मणिकरण पार्वती नदी के दाहिनी ओर बसा है, जिस तक पहुंचने के लिए नदी पर 2 पुल हैं। नदी में बर्फ का ठंडा पानी और किनारे पर खौलते हुए गर्म पानी के जलस्रोत प्रकृति की अद्भुत छटा बिखरते हैं। इसी स्थान पर विराट रूप में भगवान शंकर ने अर्जुन से युद्ध किया तथा अर्जुन की परीक्षा ली। पशुपति अस्त्र, अर्जुन को शिवजी ने यहीं पर दिया था। श्री रामचंद्र और लक्ष्मण ने वशिष्ठ मुनि आश्रम में शिक्षा-दीक्षा लेने के बाद यहीं पर शिव आराधना की थी। पहले कभी यहां पर नौ शिव मंदिर हुआ करते थे।

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यहां से 7 मील नीचे से पार्वती के किनारे-किनारे गर्म पानी के चश्मे हैं तथा 16 मील तक यही चश्मे साथ-साथ चलते हैं। यहां का स्थान परम सिद्धि और मुक्तिदायक माना गया है। इसमें सोना, चांदी, अभ्रक, काले-सफेद बिल्लौर की खानें हैं तथा हीरा, नीलम भी मिलता है।

एक जर्मन वैज्ञानिक के अनुसार मणिकरण के गर्म चश्मे में रेडियम मौजूद है क्योंकि इसका पानी उबल रहा है। सल्फर या गंधक हो तो पानी केवल गर्म हो सकता है परंतु उबल नहीं सकता है। अत: बिना किसी मिलावट के शुद्ध स्वच्छ तथा निर्मल ये पानी न केवल पीने के लिए स्वादिष्ट है बल्कि इसमें बीमारियों का नाश करने वाले एवं सेहत की रक्षा हेतु आवश्यक सभी लाभकारी तत्व मौजूद हैं।

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इस जल में स्नान करने से गठिया, जोड़ों का दर्द तथा पेट की गैस का उपचार होता है। मणिकरण के चश्मों में भोजन भी पक जाता है। चावल पोटलियों में बांधकर जल में डाल दिए जाते हैं जो 20 मिनट में पक जाते हैं। श्रद्धालु इस तरह चावलों को पकाकर प्रसाद के रूप में अपने घरों को ले जाते हैं। यहां पर नारायण हरि गुरुद्वारा के साथ ही शिव मंदिर है जिसके एक किनारे पर उबलते हुए पानी का छोटा-सा कुंड है। प्राय: इसी पानी के कुंड में भोजन पकाया जाता है।

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Other tourist places here are as follows यहां के अन्य दर्शनीय स्थल निम्न हैं :
Ram Mandir राम मंदिर :
यहां का राम मंदिर शिखर शैली का मंदिर है जिस पर स्लेट की छत है। राजा जगत सिंह ने इसे 1653 ई. में अर्द्ध नारीश्वर मंदिर के स्थान पर बनाया था। मंदिर परिसर में लगभग 40 कमरे, 3 हाल व 500 बिस्तरों की व्यवस्था है तथा अन्य सुविधाओं का विस्तार जारी है। परिसर में ही स्त्रियों के लिए सीताकुंड तथा पुरुषों के लिए रामकुंड में स्नान की व्यवस्था है।

Hanuman Temple हनुमान मंदिर : यह राम मंदिर के सामने स्थित है। मंदिर पूर्वानमुख है। राम मंदिर का प्रवेश द्वार उत्तर की ओर है। इसी मंदिर में राजा जगत सिंह की मूर्ति भी है जिनकी मृत्यु मणिकरण में ही हुई थी।

Nayana Devi Bhagwati Temple नयना देवी भगवती मंदिर : मणिकरण में भगवान शंकर ने तीसरा नेत्र खोला था जिससे नयना देवी प्रकट हुई थीं। अत: इसे नयना भगवती का जन्म स्थल भी माना गया है। यहां नयना देवी भगवती का मंदिर भी है।

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Krishna temple of recluses वैरागियों का कृष्ण मंदिर : राजा जगत सिंह ने वैष्णव धर्म अपनाया था। इसके बाद वैरागियों का कुल्लू में विशेष प्रभाव रहा। यहां वैरागियों का कृष्ण मंदिर है। मणिकरण के ठीक मध्य में साफ-सुथरा रघुनाथ मंदिर है जिसमें मंडप नहीं है। मंदिर में कमलासन पर विष्णु मूर्ति स्थापित है। यह भी शिखर शैली का मंदिर है।

How to go कैसे जाएं : मणिकरण आने के लिए पहले भुंतर पहुंचना होगा जो यहां के दर्शनीय स्थलों में शामिल है। इसे पार्वती घाटी का प्रवेश द्वार भी कहते हैं। यह मंडी से 59 कि.मी. दूर है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंद्रनगर है जो भुंतर से 115 कि.मी. दूर पठानकोट मार्ग पर है।

चंडीगढ़ मार्ग पर निकटतम रेलवे स्टेशन कीरतपुर साहब है जिसकी दूरी 194 कि.मी. है। चंडीगढ़ तथा दिल्ली से सीधी हवाई सेवा उपलब्ध है। 

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