Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Oct, 2023 07:21 AM
दुनिया में एक ही जगह है, जहां आदमी अपनी मर्जी से नहीं जाता। वह है-मरघट। जब मुर्दे को भी बांध कर ले जाना पड़ता है, तो फिर जिंदा आदमी के जाने का तो सवाल ही नहीं उठता।
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दुनिया एक महा श्मशान है
दुनिया में एक ही जगह है, जहां आदमी अपनी मर्जी से नहीं जाता। वह है-मरघट। जब मुर्दे को भी बांध कर ले जाना पड़ता है, तो फिर जिंदा आदमी के जाने का तो सवाल ही नहीं उठता। तुम्हारा घर भी मरघट है क्योंकि इसमें हर पल तुम्हारे प्राण घट (कम) रहे हैं। दरअसल पूरी दुनिया एक महा श्मशान है। तुम्हें पता है जिस जगह तुम बैठे हो उसके नीचे कम से कम छ: मुर्दे दफन हैं।
देने में मेरे हाथ कभी थकें नहीं
हे प्रभु! मेरे पैरों में इतनी शक्ति देना कि दौड़-दौड़ कर तेरे दरवाजे आ सकूं। मुझे ऐसी सद्बुद्धि देना कि सुबह-शाम घुटनों के बल बैठकर तुझे प्रणाम कर सकूं। 100 साल जिऊं या 50 साल-यह तेरी मर्जी, मेरी अर्जी तो सिर्फ इतनी है कि जब तक भी जिऊं जिह्वा पर तेरा नाम रहे।
देने में मेरे हाथ कभी थकें नहीं। मेरे मालिक प्रेम से भरी हुई आंखें देना, श्रद्धा से झुका हुआ सिर देना, सहयोग करते हुए हाथ देना, सत्पथ पर चलते हुए पैर देना और सुमिरन करता हुआ मन देना। हे प्रभु! अपने इस बच्चे को अपनी कृपा दृष्टि देना।