Edited By Prachi Sharma,Updated: 19 Oct, 2025 02:00 PM

Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी पर यम दीपक शाम के समय जलाया जाता है और चतुर्दशी तिथि 20 अक्टूबर को दिन में 03:44 बजे तक ही है, इसलिए कई ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार यम दीपक 19 अक्टूबर की शाम को त्रयोदशी तिथि में या 20 अक्टूबर की शाम को जलाया...
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Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी पर यम दीपक शाम के समय जलाया जाता है और चतुर्दशी तिथि 20 अक्टूबर को दिन में 03:44 बजे तक ही है, इसलिए कई ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार यम दीपक 19 अक्टूबर की शाम को त्रयोदशी तिथि में या 20 अक्टूबर की शाम को जलाया जा सकता है। नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज की विशेष पूजा की जाती है और उनके लिए दीपदान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यमराज के नाम से चौमुखी दीपक जलाने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और उसे नरक की यातनाओं से बचाव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। चौमुखी दीपक चार दिशाओं को इंगित करता है और माना जाता है कि यह घर की चारों दिशाओं से नकारात्मक ऊर्जाओं और संकटों को दूर करता है, जिससे परिवार में सुख-शांति और सुरक्षा बनी रहती है। यह दीपक हमारे पितरों को भी प्रसन्न करता है।
चौमुखी यम दीपक जलाने की सरल विधि
यमराज के लिए दीपक जलाने का यह कार्य घर के सबसे बड़े सदस्य को करना चाहिए। यह दीपक रात के समय, जब घर के सभी सदस्य भोजन कर चुके हों और घर में अन्य दीपक जलाए जा रहे हों, तब जलाया जाता है।
दीपदान की विधि
चौमुखी दीपक लें और उसमें सरसों का तेल डालें। दीपक के चारों कोनों में चार बत्तियां इस प्रकार लगाएं कि वे चारों दिशाओं की ओर मुख करें।
दीपक जलाने से पहले हाथ में दीपक लेकर या हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। इस दौरान आप इस सरल मंत्र का जाप कर सकते हैं:
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति॥

अर्थ: त्रयोदशी पर दीपदान करने से मृत्यु के पाश, दंड और काल से मुझे बचाकर यमराज प्रसन्न हों। अब घर के सबसे बड़े सदस्य द्वारा यह चौमुखी दीपक जलाया जाए।
दीपक जलाने के बाद, उसे घर के प्रत्येक कोने में, रसोईघर, पूजा घर और मुख्य द्वार के आस-पास घुमाएं। यह कार्य घर से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को हटाने के लिए किया जाता है।
दीपक को घुमाने के बाद, उसे घर से बाहर किसी साफ-सुथरी जगह पर, जैसे मुख्य द्वार के बाहर या कूड़ेदान के पास, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रख दें। दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है।
दीपक को रखने के बाद, पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि एक बार दीपदान पूरा हो जाने पर, यमराज का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है और पीछे देखने से वह प्रभाव भंग हो सकता है।
