Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 Sep, 2025 07:00 AM
Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा, जिन्हें उनके भक्त प्रेम से महाराज-जी कहकर पुकारते थे, एक ऐसे संत थे जिनका जीवन ही उनका सबसे बड़ा और सबसे सरल संदेश था। उनके वचन किसी जटिल दर्शन या धार्मिक अनुष्ठान की बात नहीं करते, बल्कि जीवन के सबसे सरल और मूलभूत...
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Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा, जिन्हें उनके भक्त प्रेम से महाराज-जी कहकर पुकारते थे, एक ऐसे संत थे जिनका जीवन ही उनका सबसे बड़ा और सबसे सरल संदेश था। उनके वचन किसी जटिल दर्शन या धार्मिक अनुष्ठान की बात नहीं करते, बल्कि जीवन के सबसे सरल और मूलभूत सिद्धांतों को छूते हैं: प्रेम, सेवा और सादगी। उनके ये अनमोल वचन आपकी जीवन-दिशा बदलने की शक्ति रखते हैं।
नीम करोली बाबा, जिन्हें उनके भक्त प्रेम से महाराज-जी कहकर पुकारते थे, एक ऐसे संत थे जिनका जीवन ही उनका सबसे बड़ा और सबसे सरल संदेश था। उनके वचन किसी जटिल दर्शन या धार्मिक अनुष्ठान की बात नहीं करते, बल्कि जीवन के सबसे सरल और मूलभूत सिद्धांतों को छूते हैं: प्रेम, सेवा और सादगी। उनके ये अनमोल वचन आपकी जीवन-दिशा बदलने की शक्ति रखते हैं।

प्रेम ही सबसे बड़ी शक्ति
महाराज-जी के उपदेशों का केन्द्रीय विचार प्रेम है। वह अक्सर कहते थे:
सबको प्यार करो, सबकी सेवा करो, सबको भोजन दो, भगवान को याद करो।
उनके लिए, ईश्वर की आराधना का सबसे उत्तम तरीका हर प्राणी में ईश्वर को देखना और उससे प्रेम करना था। यह प्रेम केवल मीठी बातें करने तक सीमित नहीं था, बल्कि सेवा के माध्यम से प्रकट होना चाहिए।
बिना शर्त प्रेम: बाबा का प्रेम किसी भेद-भाव को नहीं जानता था। अमीर-गरीब, हिन्दू-मुस्लिम, भारतीय-विदेशी, हर कोई उनकी निगाह में समान था। उनका मानना था कि अगर आप एक-दूसरे से प्रेम नहीं कर सकते, तो आप अपना लक्ष्य कभी हासिल नहीं कर सकते।
क्षमा की शक्ति: वह कहते थे कि क्षमा सबसे बड़ा हथियार है। यह एक संत को अविचलित रखता है और क्रोध को तुरंत शांत कर सकता है। किसी को चोट पहुंचाने वाले को भी प्रेम देने और क्षमा करने की सीख ही जीवन में मन की शांति लाती है।
प्रेम सबसे बड़ी दवा: बाबा के अनुसार, प्रेम सबसे मजबूत दवा है और यह बिजली से भी अधिक शक्तिशाली है। यह न केवल आत्मा को बल्कि शरीर को भी स्वस्थ करता है।

सादगी और अनासक्ति का मार्ग
अस्थायी संसार: वह कहते थे कि ईश्वर के प्रेम को छोड़कर इस दुनिया में सब कुछ अस्थायी और नश्वर है। यह दुनिया सिर्फ एक छलावा या लगाव है। हमें सांसारिक चीजों से मोह नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यही आसक्ति आध्यात्मिक मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है।
इच्छाओं का त्याग: यदि आप भगवान को देखना चाहते हैं, तो इच्छाओं को मार डालो। मन को नियंत्रित करना और उसे सभी प्रकार की इच्छाओं से मुक्त करना ही ईश्वर की अनुभूति का मार्ग है।
धन का उपयोग: पैसा हमेशा दूसरों की मदद के लिए इस्तेमाल करना चाहिए, केवल जमा करने के लिए नहीं। परोपकार ही धन के सही उपयोग का मार्ग है।
अतीत और भविष्य: बाबा ने वर्तमान में जीने की महत्ता पर ज़ोर दिया। वह कहते थे कि "आप सौ साल की योजना बना सकते हैं लेकिन आप नहीं जानते कि अगले ही पल क्या होगा। अतीत को भूलकर वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि अतीत का बोझ आपको वर्तमान में आगे बढ़ने से रोकता है।
