Edited By Jyoti,Updated: 30 May, 2021 01:57 PM
पुराने जमाने की बात है। किसी गांव में एक बुढ़िया रहती थी। उसने अपनी जमीन का एक हिस्सा बेच दिया और जो धन मिला उससे अपने लिए सोने की चूड़िया बना लीं। उसने बड़ी खुशी
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
पुराने जमाने की बात है। किसी गांव में एक बुढ़िया रहती थी। उसने अपनी जमीन का एक हिस्सा बेच दिया और जो धन मिला उससे अपने लिए सोने की चूड़िया बना लीं। उसने बड़ी खुशी से चूड़िया पहनीं और सड़क पर अभिमान के साथ घूमने लगी लेकिन वह बहुत निराश हुई क्योंकि गांव में किसी ने भी उसकी चूडिय़ों पर ध्यान नहीं दिया।
अंत में उसे एक युक्ति सूझी। सुबह उठते ही उसने अपने घर में आग लगा दी। जब आग की लपटें ऊंची उठीं और हाहाकार मच गया तो गांव वाले उसके घर की ओर दौड़े। वह जलते हुए घर के आगे विलाप कर रही थी। वह भयभीत गांव वालों के मुंह के सामने चूड़िया खनकाकर जोर-जोर से रो-रोकर हाथ पीट रही थी जिससे आग की रोशनी में चूड़िया चमकें। वह रोती हुई बोली, ‘‘हाय मेरा भाग्य, हे भगवान क्या आप मेरी दशा नहीं देख रहे? हर बार चिल्लाते हुए वह अपनी बांह किसी न किसी पर जोर से रख रही थी ताकि कोई भी स्त्री-पुरुष उसकी चूड़िया देखने से न रह जाए पर किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि सब उसके घर के बारे में बात कर रहे थे और उसके प्रति सहानुभूति व्यक्त कर रहे थे।’’
आखिरकार आग बुझाई गई। बाद में बुढ़िया को अपनी चूड़िया बेचकर घर की मुर मत करानी पड़ी। कुछ दिनों बाद अपने मन की शांति के लिए वह एक महात्मा के पास गई। उसने महात्मा को सारी बात कह सुनाई। महात्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘तुम मिथ्याभिमान में पड़ी हुई हो। तुमने उस चीज के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश की जिसका सिर्फ तु हारे लिए महत्व है दूसरों के लिए नहीं। दूसरों के हित में काम करो तभी लोग तुम्हारा नाम लेंगे।’’—रमेश जैन