दक्षिण भारत में ऐसा मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व

Edited By Jyoti,Updated: 13 Jan, 2022 01:45 PM

pongal 2022

कहा जाता है कि भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न संप्रदाय से जुड़े लोग रहते हैं। यही कारण है कि यहां कई प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं, जिन्हें मनाने की परंपराएं भी विभिन्न-विभिन्न होती है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कहा जाता है कि भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न संप्रदाय से जुड़े लोग रहते हैं। यही कारण है कि यहां कई प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं, जिन्हें मनाने की परंपराएं भी विभिन्न-विभिन्न होती है। बात करें पंजाब में धूम धाम से मनाए जाने वाले पर्व लोहड़ी की तो ये त्यौहार देश भर में मनाया तो जाता है परंतु अलग-अलग रूपों में। तो ठीक इसके एक दिन बाद मनाया जाने वाला मकर संक्रांति का पर्व भी देशभर के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों से मनाया जाता है। जानकारी के लिए बता दें प्रत्येक वर्ष ये त्यौहार लोहड़ी के एक दिन बाद यानि 14 जनवर को मनाया जाता है। तो वहीं दक्षण भारत में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन यहां लोग ग्रहों के राजा सूर्यदेव तथा स्वर्ग के राजा इंद्र देव की विधि वत पूजा करते हैं। 

बताया जाता है मकर संक्रांति से शुरू होकर ये पर्व पूरे चार दिन तक चलता है। इन चार दिनों के अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जिसमें से पहले दिन को भोगी पोंगल, दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन को मट्टू पोंगल तथा चौथे यानि आखिरी दिन को 'कन्नम पोंगल' के नाम से जाना जाता है। तमिल सौर कैलेंडर के अनुसार यह पर्व ताई मास की शुरुआत में मनाया जाता है, जिस कारण तमिल के लोग इसे न्यू ईयर के रूप में भी मनाते हैं। 

इसके अलावा पोंगल के चार दिनों में क्या क्या होता है क्या नहीं, आइए जानते हैं यहां- 

बता दें मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है। धार्मिक व ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करता है। इसी के साथ सूर्य उत्तरी ध्रुव की ओर गति करना शुरू करता है। इस दिन से दक्षिण भारत के पर्व पोंगल की शुरूआत होती है। जिसे विधि वत व धूम धाम से देशभर में मनाया जाता है। 

पोंगल पहला दिन 
बताया जाता है पोंगल के पहले दिन पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है, इसके उपरांत घर से जो पुराना सामान निकलता है, उसकी ‘भोगी’जलाई जाती है तथा विधि वत भगवान इन्द्र की पूजा भी की जाती है।

पोंगल दूसरा दिन
इस दिन सूर्य देव की पूजा आराधना की जाती है। कहा जाता है कि सूर्य के प्रकाश के कारण ही अन्न जल की प्राप्ति होती है, इनके प्रति आभार व्यक्त करने की लिए इस दिन विशेष रूप से खीर बनाई जाती है और सूर्य देवता को इसका भोग लगाया जाता है। इस भोग को पगल कहा जाता है, अतः इसे पोंगल कहते हैं।

पोंगल तीसरा दिन
इस दिन मट्टू अर्थात बैल की पूजा करने का विधान है। बैल को शिव जी के सवारी नंदी स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। इसके अतिरिक्त इस दिन पशुओं के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। कहा जाता है पशु जीविकोपार्जन में सहायक होते हैं। इसलिए इस दिन यहां गाय-बैलों को फूल माला से सजाया जाने की परपंरा है। 

पोंगल चौथा दिन
पोंगल के आखिरी दिन लोग अपने घरों को फूलों से सजात हैं। महिलाएं आंगन में रंगोली बनाती है तथा कन्या पूजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस दिन रिश्तेदार, भाई, बंधु- मित्र एक दूसरे से भेंट करने घर आते हैं और पोंगल पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!