Ram Mandir pran pratishtha: प्राण प्रतिष्ठा पर शंकराचार्यों के रुख के खिलाफ वैष्णव अखाड़ा

Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 Jan, 2024 07:21 AM

ram mandir pran pratishtha

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में दो शंकराचार्य नहीं पहुंचेंगे। इस मामले पर वैष्णव अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत गौरीशंकर दास ने कहा कि शंकराचार्य

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अयोध्या (इंट): अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में दो शंकराचार्य नहीं पहुंचेंगे। इस मामले पर वैष्णव अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत गौरीशंकर दास ने कहा कि शंकराचार्य मर्यादा में रहें, तो उनकी इज्जत बची रहेगी।

दरअसल, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद और पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में न जाने का ऐलान किया था। वहीं, रामानंद संप्रदाय के पीठाधीश्वर भी आमंत्रण नहीं मिलने से नाराज हैं। इस मामले पर अयोध्या के 3 अखाड़ों के महंतों से बातचीत की। तीनों अखाड़ों के महंतों ने श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्य का बेहतर कहा।

देश में मौजूद 4 मुख्य पीठों के शंकराचार्यों में से 2 ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इंकार कर दिया था। गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, "22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में हमें बुलाया गया है पर हम वहां नहीं जाएंगे। इस अवसर पर मोदीजी रामलला की मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो हम वहां ताली बजाएंगे क्या। हमारा वहां क्या काम है। यह लोग धर्म के मामले में हस्तक्षेप कर रहे हैं।"

वहीं, ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है। इसमें कह रहे हैं, ''चारों शंकराचार्य किसी राग या द्वेष के कारण नहीं बल्कि शंकराचार्यों की दायित्व है कि वो शास्त्र विधि का पालन करें और करवाएं। अब वहां शास्त्रविधि की उपेक्षा हो रही है। मंदिर अभी पूरा बना नहीं है और प्रतिष्ठा की जा रही है। कोई ऐसी परिस्थिति नहीं है कि अचानक करना पड़े।''

हनुमत पीठ के आचार्य बोले- निराशा के चलते लोग विरोध कर रहे
अयोध्या की हनुमत पीठ के आचार्य डॉ. मिथिलेशनंदिनी शरण ने कहा कि जैसे-जैसे प्रतिष्ठा का समय नजदीक आ रहा है। उत्साह के साथ ही बढ़ती बेचैनी के दृश्य सामने आ रहे हैं। राजनीतिक निराशा से ग्रस्त लोग इस प्रसंग से व्याकुल होकर आत्मघाती बयान देने और एक राष्ट्रीय महत्व के अवसर का तिरस्कार करने की गलती दोहरा रहे हैं। पूज्य शंकराचार्य इस देश के गौरव हैं। जहां हैं वहीं से मंगल मनाएं। भीड़ में आना उनके पद प्रतिष्ठा के लिए अनुकूल नहीं रहेगा क्योंकि सुरक्षा के चलते क्षत्र और चंवर लेकर आना मना है।

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