Religious Katha: रामकृष्ण परमहंस से जानें, भगवान को पाने का मूल मंत्र

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Feb, 2024 12:10 PM

religious katha

एक बार रामकृष्ण परमहंस के एक शिष्य ने उनसे पूछा, ‘‘इंसान के भीतर संसार की वस्तुओं को पाने की जैसी व्याकुलता होती है

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Religious Context: एक बार रामकृष्ण परमहंस के एक शिष्य ने उनसे पूछा, ‘‘इंसान के भीतर संसार की वस्तुओं को पाने की जैसी व्याकुलता होती है वैसी व्याकुलता ईश्वर को पाने की क्यों नहीं होती?’’

PunjabKesari Religious Katha

रामकृष्ण परमहंस ने मुस्कुराकर उसकी ओर देखा और बोले, ‘‘अज्ञानता के कारण ही ऐसी व्याकुलता नहीं होती। मनुष्य सांसारिक वस्तुओं के भ्रम में इतना खोया रहता है कि उसकी अज्ञानता जाती ही नहीं। मोह-माया का भ्रम बना ही रहता है।’’

शिष्य ने आगे पूछा, ‘‘तो यह भ्रम और वासना कैसे समाप्त हो?

PunjabKesari Religious Katha

इस पर रामकृष्ण परमहंस ने उसे प्रेमपूर्वक समझाया, ‘‘सांसारिक वस्तुएं भोग हैं और भोग का अंत हुए बिना ईश्वर को पाने की व्याकुलता उत्पन्न नहीं हो सकती।’’

शिष्य की उत्सुकता को शांत करने के लिए उन्होंने मां और बच्चे का उदाहरण देते हुए समझाया, ‘‘जब तक बच्चा अपने खेल-खिलौनों के साथ खेलने में व्यस्त रहता है, तब तक उसे मां की याद नहीं आती, लेकिन खेल से मन भर जाने पर या खेल समाप्त हो जाने पर वह अपनी मां के लिए व्याकुल हो उठता है।

PunjabKesari Religious Katha

यही स्थिति मनुष्य के हृदय रूपी बच्चे की भी है। वह संसारी वस्तुओं के खेल में डूबा रहता है। लेकिन जैसे ही वह उन खेलों से ऊब जाता है, वह अपनी परमात्मा रूपी मां से मिलने के लिए बेचैन हो उठता है और वहीं से व्याकुलता प्रारंभ हो जाती है।

यह सुनकर शिष्य संतुष्ट हो गया।

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!