Edited By Jyoti,Updated: 22 Aug, 2021 02:42 PM

आज 22 अगस्त श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को न केवल रक्षा बंधन है बल्कि अन्य कई त्यौहार मनाए जा रहे हैं। जिनमें से एक है संस्कृत दिवस है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष श्रावण
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आज 22 अगस्त श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को न केवल रक्षा बंधन है बल्कि अन्य कई त्यौहार मनाए जा रहे हैं। जिनमें से एक है संस्कृत दिवस है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष की इस तिथि को संस्कृत दिवस मनाया जाता है। सनातन धर्म में संस्कृति को देव भाषा के नाम से जाना जाता है। चूंकि सनातन संस्कृति में संस्कृत भाषा प्राचीन समय से चली आ रही है, जिस कारण इस ये दिन मनाया जाता है। हिंदू धर्म के समस्त ग्रंथों, वेदों, मंत्रों व पुराणों आदि का संस्कृत भाषा में होना भी इस भाषा को और खास बनाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो श्रावणी पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाले संस्कृत दिवस अपने आप में अधिक अनूठा कहलाता है। कहा जाता है किसी भी अन्य प्राचीन भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार नहीं मनाया जाता है।
परंतु ये दिन क्यों मनाया जाता है, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो आइए बिना देर किए जानते हैं कि आखिर इस त्यौहार को क्यों मनाया जाता है? कहा जाता है संस्कतृ दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है इस भाषा के महत्व को सब तक पहुंचाना। कहा जाता है कि धर्म संस्कृति में देव भाषा का दर्जा प्राप्त होने के बावजूज, इस भाषा का वजूद कहीं खोता जा रहा है। कहा जाता है कि भारत में भी अपनी मात्र भाषा हिंदी को छोड़कर अंग्रेज़ी का महत्व अधिक बढ़ जाने के कारण संस्कृत को पढ़ने लिखने और समझने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। यही कारण है कि भारतीय समुदाय या समाज को संस्कृत महत्वता और आवश्यकता से रूबरब करवाने के लिए संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह मनाया जाता है।
बता दें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावणी पूर्णिमा अथवा रक्षा बंधन पर ऋषियों-मुनियों के स्मरण करने तथा उनका पूजन करके समर्पण का विधान है। सनातन धर्म के अनुसार प्राचीन समय में ऋषि-मुनि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं। अतः इस पर्व को ऋषि पर्व के रूप में भी जाना जाता है।
बताया जाता है कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश सन् 1969 में जारी किया गया था। तभी से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस को श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसके लिए श्रावण पूर्णिमा का दिन चुनने का कारण हमारे प्राचीन भारत में इसी दिन शिक्षण सत्र शुरू करने तथा वेद पाठ का शुभारंभ होता था और विद्यार्थी भी इसी दिन से शास्त्रों के अध्ययन का प्रारंभ किया करते थे।
संस्कृत दिवस के दिन कई स्थानों पर संस्कृत का महत्व बढ़ाने के लिए इस भाषा में कवि सम्मेलन, लेखक गोष्ठी, भाषण तथा श्लोक उच्चारण आदि कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, हालांकि अभी कोरोना काल में यह संभव न होने कारण ऑनलाइन स्तर पर इसे मनाया जा सकता है।