Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Jul, 2025 07:31 AM

Sawan Saturday 2025: सावन का महीना आरंभ होते ही भगवान शिव के मंदिरों के बाहर भोले बाबा के भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। क्या आपने कभी सोचा है, ऐसा क्यों होता है। दरसल भोले बाबा बहुत भोले हैं, वे अपने भक्तों के थोड़े से मुनहार से ही प्रसन्न...
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Sawan Saturday 2025: सावन का महीना आरंभ होते ही भगवान शिव के मंदिरों के बाहर भोले बाबा के भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। क्या आपने कभी सोचा है, ऐसा क्यों होता है। दरसल भोले बाबा बहुत भोले हैं, वे अपने भक्तों के थोड़े से मुनहार से ही प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें मुंह मांगा फल देकर तृप्त करते हैं। शिव पुराण के अनुसार यदि आप शनि संबंधित समस्याओं के निवारण हेतु सावन में कुछ विशेष उपाय कर लेंगे तो भोले बाबा शनि पीड़ा से आजाद कर देंगे। भगवान शिव की शरण में जाकर अपील करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

Sawan Shaniwar Ke Upay: सावन के शनिवार करें ये काम: शनिवार की शाम को सूर्यास्त से पहले घर में विराजमान पारद शिवलिंग अथवा किसी शिवालय जाकर शिवलिंग की पूजा-अर्चना इस प्रकार करें-
भोले बाबा पर काले तिल व कच्चा दूध चढ़ाएं।
पीपल पेड़ के नीचे स्थापित शिवलिंग की पूजा करें।
तिल के तेल का दीपक और धूप जलाएं।
शिवलिंग पर बरगद का पत्ता चढ़ाएं। काजल अर्पित करें तथा पानी में शमी के पत्ते डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें।

शिव पंचाक्षरी स्तोत्र शनि पीड़ा से रक्षा या दूर करने के लिए मन ही मन स्मरण करें-
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै "न" काराय नमः शिवायः॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै "म" काराय नमः शिवायः॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै "शि" काराय नमः शिवायः॥
वषिष्ठ कुंभोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै "व" काराय नमः शिवायः॥
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै "य" काराय नमः शिवायः॥
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

भगवान शिव के ही अवतार पिप्पलाद मुनि द्वारा रचित शनि स्तोत्र का पाठ करें-
नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरुपाय कृष्णाय नमोऽस्तुते॥
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकायच।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोऽस्तुते।
प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥
