Sawan Shivratri: 2025 की सावन शिवरात्रि पर बन रहे बेहद खास योग, इस मुहूर्त में पूजा करने से मिलेगा दोगुना फल

Edited By Updated: 16 Jul, 2025 07:00 AM

sawan shivratri

Sawan Shivratri:  भगवान शिव को महादेव कहा जाता है यानि देवों के देव। सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस पवित्र महीने में आने वाली सावन शिवरात्रि को विशेष महत्त्व प्राप्त है। 2025 में यह शिवरात्रि जुलाई महीने में...

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Sawan Shivratri:  भगवान शिव को महादेव कहा जाता है यानि देवों के देव। सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस पवित्र महीने में आने वाली सावन शिवरात्रि को विशेष महत्त्व प्राप्त है। 2025 में यह शिवरात्रि जुलाई महीने में पड़ रही है और लोगों के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि यह 22 जुलाई को है या 23 जुलाई को ? आइए इस भ्रम को दूर करें और साथ ही जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और योग की संपूर्ण जानकारी।

 सावन शिवरात्रि की तिथि:
2025 में सावन शिवरात्रि 23 जुलाई, बुधवार को मनाई जाएगी। यह तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है। पंचांग के अनुसार:

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ:
23 जुलाई 2025 को सुबह 04:39 बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त:
24 जुलाई 2025 को सुबह 02:28 बजे

शास्त्रों के अनुसार, शिवरात्रि का व्रत और पूजन चतुर्दशी तिथि की निशिता काल में करना श्रेष्ठ होता है जो आधी रात के समय होता है। इस आधार पर 23 जुलाई की रात को पूजा करना उचित रहेगा, अत: सावन शिवरात्रि 23 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी।

सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
जलाभिषेक के लिए निशिता मुहूर्त- रात 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक।

Sawan Shivratri Puja Vidhi सावन शिवरात्रि पूजा विधि

प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें। दिनभर उपवास रखें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

रात्रि के चारों प्रहर में शिवलिंग पर जल और पंचामृत चढ़ाकर पूजा करें।

पूजा करते समय  शिव चालीसा, रुद्राष्टक या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।

सावन शिवरात्रि शुभ यो
ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन दुर्लभ हर्षण और भद्रावास का निर्माण हो रहा है। हर्षण योग दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा और इसके अलावा
भद्रावास योग दोपहर 03 बजकर 31 मिनट तक ही रहेगा।  इस योग में यदि आप महादेव और मां गौरी की पूजा करेंगे तो अधिक फल मिलेगा।

सावन शिवरात्रि का महत्व
यह शिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन की रात मानी जाती है। माना जाता है कि इस रात शिवजी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। अविवाहित स्त्रियां उत्तम वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। इसके अलावा विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए यह उपवास रखती हैं। 2025 की सावन शिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र और शिव योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। इस तरह के योग में शिव पूजा का पुण्य कई गुना अधिक फलदायक माना गया है।
 

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