Shani Amavasya: ये है शनि अमावस्या का शुभ मुहूर्त, करें ये दान बनेंगे बिगड़ें काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Nov, 2021 09:00 AM

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हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों में इसे पर्व भी कहा गया है। यह वह रात होती है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता है। अमावस्या की रात हर 30 दिन बाद आती है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि अमावस्या एक महीने

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Shanischari Amavasya 2021: हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों में इसे पर्व भी कहा गया है। यह वह रात होती है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता है। अमावस्या की रात हर 30 दिन बाद आती है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि अमावस्या एक महीने में एक बार आती है और 1 साल में 12 अमावस्याएं आती हैं। अमावस्या को पूर्वजों का दिन भी कहा जाता है। दिन के अनुसार पड़ने वाली अमावस्या के अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे सोमवार को पड़ने वाले अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं । उसी तरह शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या या शनैश्चरी अमावस्या भी कहते हैं ।

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Shani amavasya kab hai: शनिवार को अमावस्या का संयोग कम ही बनता है।  इस साल 13 मार्च को शनिवार के दिन अमावस्या थी। उसके बाद 10 जुलाई को ऐसा योग बना और दूसरी शनैश्चरी अमावस्या आई और अब ऐसा संयोग 4 दिसंबर को बन रहा है, जब इस साल की आखिरी शनि अमावस्या रहेगी। 4 दिसंबर को संयोग से सूर्य ग्रहण भी है इसलिए इस अमावस्या का महत्व और बढ़ गया है।

Shani Amavasya 2021 Shubh Muhurat: शनैश्चरी अमावस्या का प्रारंभ 03 दिसंबर 2021 को शाम 04:56 बजे से होगा और शनैश्चरी अमावस्या की समाप्ति 04 दिसंबर को दोपहर 01:13 बजे होगी। इस तरह शनैश्चरी अमावस्या 4 दिसंबर को मनाई जाएगी।

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Shani Amavasya 2021 Upay: इस साल की तीसरी व आखिरी शनैश्चरी अमावस्या पर इस बार इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। शनि, सूर्य के पुत्र हैं परन्तु दोनों एक-दूसरे के विरोधी ग्रह भी हैं। शनि अमावस्या को सूर्य ग्रहण के समय ब्राह्मणों को पांच वस्तुओं का पंच दान सर्वाधिक लाभदायक होता है। ये पांच वस्तुएं हैं अनाज, काला तिल, छाता, उड़द की दाल, सरसों का तेल। इन पांचों वस्तुओं के दान का महत्व होता है।

Shani Amavasya Surya Grahan Daan: इनके दान से आपकी व आपके परिवार की समृद्धि में वृद्धि होती है, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। पंच दान से विपत्ति से रक्षा और पितरों की मुक्ति होती है। इस संयोग में सरसों का तेल दान करने से शनि का प्रभाव सदैव के लिए समाप्त हो जाता है।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

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