शनि अमावस्या: 14 साल बाद बना शुभ योग, ऐसे उठाएं लाभ

Edited By Updated: 16 Mar, 2018 02:53 PM

shani amavasya 2018

17 मार्च शनिवार को 14 साल बाद शनिश्चरी अमावस्या पर शुभ योग बना है। इससे पूर्व 20 मार्च 2004 में चैत्र मास में शनैश्चरी अमावस्या आई थी। 2018 के उपरांत 2025 में ये योग पुन: बनेगा यानि आज से 7 साल बाद। शनि-मंगल की युति के अतिरिक्त पूर्वा भाद्रपद...

17 मार्च शनिवार को 14 साल बाद शनिश्चरी अमावस्या पर शुभ योग बना है। इससे पूर्व 20 मार्च 2004 में चैत्र मास में शनैश्चरी अमावस्या आई थी। 2018 के उपरांत 2025 में ये योग पुन: बनेगा यानि आज से 7 साल बाद। शनि-मंगल की युति के अतिरिक्त पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, नाग करण, कुंभ राशि का चंद्रमा और बहुत सारे संयोग बन रहे हैं।  इस शुभ योग ने शनिदेव को प्रसन्न करना बहुत आसान बना दिया है। किसी भी तरह के शनि दोष से मुक्त होने के लिए इस शुभ योग में करें ये काम-


शनि अमावस्या पर काले रंग के वस्त्र धारण करें। तुलसी के 108 पत्ते लेकर उन पर श्री राम लिखें और पत्तों को एक सूत्र में पिरो कर माला बना कर श्री हरि विष्णु के गले में डालें। अगर आप अमाव्या का व्रत नहीं कर रहे तो भी शनि देव का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की साढेसाती, ढैय्या और महादशा जनित संकट और आपदाओं से मुक्ति पा सकते हैं। शनि देव की कृपा से मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।


सवा मीटर काले वस्त्र में ये चीजें बांध कर वास्तविक डकौत को दें- काले जूते या चप्पल, सवा किलो  काले साबुत उड़द, सवा किलो काले तिल, सवा लीटर सरसों का तेल, एक चाकू, 8 काले गुलाब जामुन, काले या नीले फूल।


शनि पीड़ा को मात देते हैं ये मंत्र, अपनी सामर्थ्य के अनुसार करें इनका जाप-
कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।। 


नीलान्जन समाभासम् - रविपुत्रम यमाग्रजम। छाया मार्तण्ड सम्भूतम- तम नमामि शनैश्चरम।।


ॐ शं शनैश्चराय नम:


ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:

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