शरद पूर्णिमा 2021: इस दिन मिलता है मां लक्ष्मी का आशीर्वाद, 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है चांद!

Edited By Jyoti,Updated: 16 Oct, 2021 12:55 PM

sharad purnima 2021

हमारे शास्त्रों में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।  इसे कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव और कमला पूर्णिमा भी कहते

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हमारे शास्त्रों में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।  इसे कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव और कमला पूर्णिमा भी कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे साल में से सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसी धार्मिक मान्यता भी है कि इस दिन आसमान से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की विशेष तौर पर पूजा होती है। 

इस साल शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर मंगलवार को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का काफी महत्व है। वर्ष की सभी पूर्णिमा में आश्विन पूर्णिमा यानि शरद पूर्णिमा विशेष चमत्कारी मानी गई है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है। चंद्रमा की दूधिया रोशनी धरती को नहलाती है और इस दूधिया रोशनी के बीच पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से सर्दियों की शुरुआत हो जाती है।

ऐसा भी माना जाता है कि  अश्विन महीने के पूर्णिमा के दिन समंद्र मंथन के दौरान महालक्ष्मी जी प्रगट हुई थीं। इसी वजह से शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। इस दिन  रात भर महालक्ष्मी का ध्यान और पूजा-अर्चना करने वाले भक्त को लक्ष्मी जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नारदपुराण के अनुसार  इस दिन लक्ष्मी मां अपने हाथों में वर और अभय लिए घूमती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी अपने जागते हुए भक्तों को धन और वैभव का आशीष देती हैं। शाम होने पर सोने, चांदी या मिट्टी के दीपक से आरती की जाती है।

देशभर में शरद पूर्णिमा का त्योहार काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। कई जगह लक्ष्मी जी के साथ-साथ भगवान विष्णु जी की भी पूजा की जाती है।

बता दें इस बार शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर को पड़ रही है। यहां जानें इसका शुभ मुहूर्त-
इस साल शरद पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर को शाम 7 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी।

धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि इस तिथि पर चंद्रमा से निकलने वाली किरणों में सभी प्रकार के रोगों को हरने की क्षमता होती है। इसी आधार पर कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात आकाश से अमृत वर्षा होती है।

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com 

 

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