Shri Amrapur Dham Jaipur: राहगीरों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है जयपुर स्थित श्री अमरापुर धाम

Edited By Updated: 21 Nov, 2025 10:29 AM

shri amrapur dham jaipur

Shri Amrapur Dham Jaipur: भारत की छोटी काशी के कहे जाने वाले जयपुर शहर में मुख्य मार्ग एम.आई. रोड पर बने श्री अमरापुर स्थान की स्थापना सन् 1951 में  आचार्य श्री 1008 सद्गुरु टेऊंराम जी महाराज के परम शिष्य स्वामी सर्वानन्द जी महाराज ने की थी। बाद में...

Shri Amrapur Dham Jaipur: भारत की छोटी काशी के कहे जाने वाले जयपुर शहर में मुख्य मार्ग एम.आई. रोड पर बने श्री अमरापुर स्थान की स्थापना सन् 1951 में  आचार्य श्री 1008 सद्गुरु टेऊंराम जी महाराज के परम शिष्य स्वामी सर्वानन्द जी महाराज ने की थी। बाद में स्वामी शान्तिप्रकाश जी महाराज और स्वामी हरिदासराम जी महाराज ने इसे न केवल संभाला, बल्कि अपनी सेवा से श्री प्रेम प्रकाश मण्डल की र्कीत को चहुं और फैलाया भी।

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श्री अमरापुर स्थान का मुख्य द्वार अपनी स्थापत्य कला से बरबस ही राहगीरों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। द्वार के ठीक बाई ओर श्री अमरापुर सत्साहित्य भण्डार (बुक स्टाल) बना हुआ है, जिसमें महाराज श्री के सत्साहित्य, कैसेट, फोटो आदि सामान उपलब्ध हैं। ठीक दाईं ओर विशाल जूता घर बना हुआ है जहां लगभग 5000 से अधिक भक्तजनों के जूते-चप्पल सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
अन्दर प्रवेश करते ही सफेद संगमरमर से बना विशाल गुरुमुखद्वार है, जो रंग-बिरंगे पुष्पों की बेल से शोभायमान है। यह द्वार स्वामी गुरुमुख दास जी महाराज की पावन स्मृति में बनाया गया है। स्वामी गुरुमुखदासजी, स्वामी सर्वानन्द जी के गुरु भाई थे।

गुरुमुखद्वार के पास स्थित है श्री अमरापुरेश्वर महादेव का मन्दिर। मन्दिर में श्वेत संगमरमर के शिवलिंग के साथ पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी (बैल) और शिव परिवार भी विराजमान है। शिव मंदिर के बाई ओर अवधूत स्वामी गुरुमुखदास जी महाराज की समाधि है।

सत्संग स्थल के ठीक सामने ऊपरी हिस्से में गुरु महाराज का प्रदर्शनी स्थल है, वहां स्वामी सर्वानन्द जी महाराज व स्वामी हरिदासराम महाराज जी की पोशाक, आसन तथा चित्रों को सुन्दर ढंग से सजाया गया है।

गुरुमुखद्वार के पास एक विशाल सत्संग हाल है, जहां 5000 से अधिक भक्तजन एक साथ बैठकर सत्संग का लाभ ले सकते है। यहां प्रतिदिन सुबह और शाम प्रार्थना, पूजा-अर्चना, आरती और सत्संग का कार्यक्रम होता है। सत्संग हाल के एक द्वार के पास श्री प्रेम प्रकाश धर्म ध्वजा स्थित है, तो दूसरी ओर श्री अमरापुर यज्ञशाला है। करीब 60 फुट ऊंचा आसमान छूता ध्वजा स्तम्भ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र है, तो विशाल यज्ञशाला संतों और ब्राह्मणों के आकर्षण का केन्द्र है।

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सत्संग हाल में सन्त महात्माओं के बैठने के लिए विशाल मंच है और उसके पीछे बना है प्रेम प्रकाश मण्डल के इष्टदेव भगवान श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर। उनके ठीक नीचे झूले में झूलते श्री अमरापुर दरबार के लाडले लड्डू गोपाल जी विराजमान है।

भगवान श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर के आगे भव्य श्री मन्दिर है। मन्दिर में आचार्य श्री सद्गुरु स्वामी टेऊंराम जी महाराज, स्वामी सर्वानन्द जी महाराज, स्वामी शांतिप्रकाश जी महाराज और स्वामी हरिदासराम जी महाराज की प्रतिमाएं विराजमान हैं। प्रतिमा के पास में ही गुरु महाराज की खादी की पोशाक, यकतारा व चरण पादुका, जन्म भूमि खंडू एवं टण्डा आदम दरबार की पवित रज (मिट्टी) आदि रखे हैं।
मन्दिर के ऊपरी भाग में कांच की कारीगरी से बने भित्ति चित्र आकर्षण का केन्द्र हैं, इनमें श्री राम दरबार, क्षीर सागर में बिराजे भगवान विष्णु, गीता उपदेश, शिव परिवार तथा भगवान कृष्ण की रासलीला चित्रित है।

मन्दिर के भीतरी परिक्रमा कक्ष में चारों ओर दीवारों पर गुरु महाराज के दोहे, पद व छन्द लिखे हैं। श्री मन्दिर के निकट एक कमरे में ग्रन्थ कक्ष बनाया गया है।

इस कक्ष में आचार्य श्री सद्गुरु टेऊंराम जी की अमरवाणी, स्वामी सर्वानन्द जी द्वारा तैयार प्रेम प्रकाश ग्रन्थ के रूप में संजोकर रखा गया है। साथ ही इस कक्ष में इष्टदेव भगवान भगवान श्री झूलेलाल जी की प्रतिमा भी है।

आगे मन्दिर का गर्भ गृह है, जहां सद्गुरु टेऊंराम जी और स्वामी सर्वानन्द जी का समाधि स्थल है, जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुगण दर्शन, नाम जप करके सुख-शान्ति को प्राप्त करते हैं।

यहां बैठकर नाम जप, स्मरण, ध्यान करने से आलौकिक शांति की प्राप्ति होती है। यहां अनेक भक्त घंटों बैठकर ध्यान करते हैं। साथ ही कोई तीन तो कोई सात परिक्रमा लगाकर अपने आप को धन्य-धन्य बनाते हैं।

उसके अलावा श्री अमरापुर स्थान में एक श्री अमरापुर गौशाला भी है, जहां न केवल गौ सेवा का काम होता है, बल्कि सन्तों की सेवा के लिए शुद्ध दूध प्राप्त किया जाता है। श्री अमरापुर स्थान में एक विशाल भण्डारा हाल भी बनाया गया है, मुख्य त्यौहारों-उत्सवों पर इस हाल में अनेक संत-महात्मा व श्रद्धालुगण एक साथ भोजन प्रसादी ग्रहण करते है। उत्सवों पर विशाल भंडारे होते हैं।

यहां सनातन धर्म के सभी पर्व उत्सव बड़ी धूम-धाम एवं भक्ति भाव के साथ मनाए जाते हैं। भण्डारे के ठीक पास मण्डल के वर्तमान श्री प्रेम प्रकाश मण्डलाध्यक्ष स्वामी भगत प्रकाश जी महाराज का निवास स्थल है, जिसके पास ही सन्त महात्माओं के ठहरने के लिए अनेक कुटियाएं बनी हुई हैं। श्री अमरापुर स्थान की गतिविधियां रोज सुबह सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाती हैं। भक्त आचार्य श्री सद्गुरु टेऊंराम जी महाराज और स्वामी सर्वानन्द जी आदि प्रतिमाओं को प्रणाम करते हैं।

बाद में मन्दिर की भीतरी परिक्रमा करते हुए प्रेम प्रकाश मण्डल के उपदेशों को सच्चे मन से नमन करते हैं और गर्भगृह में सद्गुरुओं की समाधि के दर्शन कर खुद को धन्य मानते हुए अविभूत भाव से शामिल होकर ‘ढोढा-चटनी’ का प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसमें ज्वार, बाजरी की रोटी और पुदीना, धनिया, प्याज के मिश्रण का अनोखा स्वाद अद्वितीय लगता है।

-संत श्री मोनूराम जी महाराज, श्री अमरापुर स्थान, जयपुर

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