Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Oct, 2023 09:21 AM
पीड़ितों के प्रति अपनत्व, स्नेह सबसे बड़ा कर्म है। दरिद्र नारायण की सेवा ही श्री नारायण भगवान की सेवा व दूसरों की पीड़ा दूर करने
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Smile please: पीड़ितों के प्रति अपनत्व, स्नेह सबसे बड़ा कर्म है। दरिद्र नारायण की सेवा ही श्री नारायण भगवान की सेवा व दूसरों की पीड़ा दूर करने को ही माधव सेवा मानना चाहिए। संसार में दूसरों की सहायता से ही सच्चा सुख मिलता है। —स्वामी विवेकानंद
हम जब ईश्वर को याद करते हैं तो हमारी एनर्जी पावरफुल होती है। हम जब दूसरों की गलतियां ढूंढते हैं, दूसरों की फालतू बातें करते हैं तो हमारी एनर्जी कमजोर पड़ती है। समझदार बनो, दूसरों की गलती को अपने अंतर्मन चिपकाओ। दूसरों की सेवा करने से तुम्हारी आत्मशक्ति बढ़ेगी। —बी.के. शिवानी
पुत्र के लिए माता-पिता की सेवा ही सबसे उत्तम काम है। इसी को स्वर्ग का आनंद कहते हैं। माता-पिता के अंतर मन के आशीर्वाद से ही आनंद की लहरें प्रस्फुटित होती रहती हैं। मानव सेवा, सहायता से बढ़ कर संसार में अच्छा और कोई काम नहीं। —कृष्ण चंद्र टिवाणी
जो कर्म दिखावे और प्रभुत्व की अभिलाषा से किए जाते हैं, वे निरर्थक है। उनसे आत्मशुद्धि नहीं होती। शरीर की शुद्धि सुकर्म से, इंद्रियों की सत्य और दया से, चित्त व मन को वश में रखने, आत्मा को निर्लेप करने, मौन रहने तथा सबको सुख पहुंचाने से होती है।
- श्रीमदभागवद्गीता
मोह में अंधे और विवेकहीन व्यक्ति के पास लक्ष्मी अधिक समय तक नहीं रुकती। - महाभारत
धन में बल है परन्तु सत्य नहीं। -सोमदेव
किसी कार्य के लिए कला एवं विज्ञान ही पर्याप्त नहीं होते, उसमें धैर्य भी जरूरी है। - मैक्सिम गोर्की
जितने धन से पेट भर जाए, उतना ही शरीरधारियों के लिए अच्छा है। -श्रीराम शर्मा आचार्य
प्रशंसा सफलता की नहीं, सज्जनता की होनी चाहिए। -गेटे
उस घोड़े से, जो हमें गिरा दे, वह गधा कहीं अच्छा है, जो हमें मंजिल तक ले जाए। -भागवत
बंदूक से निकली गोली, तोप से चला गोला भले ही बड़ी दूर तक मार करता है लेकिन किसी भूखे को खिलाई रोटी आसमान तक पहुंचती है।
अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हो तो तीन-चार मिनट रोज प्रार्थना किया करो। दीपक मिट्टी का हो या चांदी का, रोशनी में फर्क नहीं होगा।