कम ही लोग जानते हैं ‘सेनापति मंगल’ से जुड़ी ये कथाएं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 May, 2019 10:56 AM

story of senapati mangal

मंगल ग्रह नवग्रहों में महत्वपूर्ण है। मंगल का स्वरूप भारतीय ज्योतिषशास्त्र एवं पुराणों में अनेक स्थलों पर बताया जाता है। इसे सेनापति माना जाता है। मंगल का अर्थ तो शुभ होता है लेकिन इसकी गणना पाप ग्रहों में की जाती है।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

मंगल ग्रह नवग्रहों में महत्वपूर्ण है। मंगल का स्वरूप भारतीय ज्योतिषशास्त्र एवं पुराणों में अनेक स्थलों पर बताया जाता है। इसे सेनापति माना जाता है। मंगल का अर्थ तो शुभ होता है लेकिन इसकी गणना पाप ग्रहों में की जाती है। खूनी रंग का लाल चमकीला ग्रह पृथ्वी वासियों के लिए अनेक शुभाशुभ परिणाम प्रदायक है। अमरीकी पाथफाइंडर यान में भेजे गए चित्र एवं जानकारियां हमारी पौराणिक अवधारणाओं से कितनी मिलती हैं, यह एक विचारणीय बिंदु है। ब्रह्मांड पुराण, मत्स्य पुराण, विष्णु पुराण, महाभारत आदि में मंगल के स्वरूप एवं उत्पत्ति के संदर्भ में अनेक कथाएं मिलती हैं। यह ग्रह सौरमंडल में पृथ्वी के बाद पड़ता है लेकिन दो वर्ष में एक बार पृथ्वी के बहुत नजदीक आ जाता है। 

PunjabKesari Story of Senapati Mangal

पद्म पुराण के द्वितीय अध्याय में इसे कार्तिकेय का दूसरा स्वरूप वर्णित किया गया है- ‘तत: शरीरात् स्कंदस्य पुरुष: पावकप्रभ:’

अत: मंगल का जन्म भगवान कार्तिकेय के शरीर से माना गया जबकि ब्रह्मवैवर्त पुराण में मंगल की माता पृथ्वी तथा पिता विष्णु भगवान को माना गया है- ‘उपेंद्र बीजात पृथ्व्याम तु मंगल: समजयत:’

इसी बात को स्कंद पुराण ने भी स्वीकार किया है कि भगवान विष्णु के पसीने से पृथ्वी द्वारा मंगल का जन्म हुआ। वामन पुराण के अनुसार भगवान शिव ने जब महासुर अंधक का वध किया था तब मंगल का प्रादुर्भाव हुआ।

पद्म पुराण के अनुसार दक्ष यज्ञ विध्वंस के समय भगवान शंकर के पसीने की बूंद से वीरभद्र उत्पन्न हुआ, जिसने पाताल मार्गों से जाते समय सातों समुद्रों को जला डाला। यज्ञ का नाश करने के उपरांत शिव ने वीरभद्र को पृथ्वी से अलग हटकर मंगल के रूप में रहने का आदेश दिया। मंगल को पृथ्वी पुत्र माना जाता है और इसका नाम भौम, कुज, अवनिज, महीसुत, आवनेय, भूतनय, रुधिर, अंगारक आदि प्रसिद्ध हैं। उर्दू, फारसी तथा अरबी में यह मारीक, मिर्रीख, बेहराम आदि नाम से विख्यात है। मंगल ग्रह को कुछ विद्वान तथा पाश्चात्य ज्योतिषी युद्ध देवता भी कहते हैं।

भारतवर्ष के साथ मंगल ग्रह का बहुत बड़ा संबंध है। मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में महाकाल का मंदिर है। इस नगरी को पौराणिक काल में अवंतिकापुरी या अवंति के नाम से जाना जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुरूप भगवान शिव के पसीने की बूंद इसी नगरी पर गिरी थी और यहीं से मंगल का जन्म हुआ था इसीलिए उज्जैन को मंगल का जन्म क्षेत्र माना गया है। उज्जैन शहर अक्षांश रेखांश के संधि स्थान पर बसा हुआ है। मालवा क्षेत्र के इस भाग पर मंगल की शुभाशुभ स्थितियां सर्वाधिक प्रभाव डालती रहती हैं।

पौराणिक काल में दिव्य दृष्टि या अविकसित वैज्ञानिक पद्धति के कारण तत्कालीन ऋषियों के ज्ञान की अमरीका द्वारा भेजा गया ‘पाथफाइंडर’ आज पुष्टि कर रहा है। इस यान के मंगल के धरातल पर उतरने के बाद लगातार जो जानकारियां एवं चित्र भेजे गए हैं वे हमारी पौराणिक अवधारणा से भिन्न नहीं हैं। पौराणिक आख्यान प्रतीक मात्र होते हैं उनके अंदर जो भाव छिपे रहते हैं वे पूर्ण वैज्ञानिक एवं प्रत्यक्ष मात्र होते हैं।

PunjabKesari Story of Senapati Mangal

मंगल के भौतिक स्वरूप को जीवंत करते हुए भारतीय ज्योतिषियों ने उसके वर्ण धर्म के आधार पर पृथ्वी एवं पृथ्वी वासियों पर पडऩे वाले प्रभाव का विशद वर्णन किया है। बृहत्संहिताकार ने लिखा है-
विपुल विमल मूर्ति: किंशुका शोकवर्ण:, स्फुट रुचिर मयूखस्तप्तताम्रप्रभाम:।
विचरति यदि मार्गे चोत्तरं मेदिनीज: शुभकृदवनिपानां हार्दिदश्च प्रजनाम्।।

अर्थात रूखे-सूखे बड़े आकार के अशोक तथा किंशुक के फूलों जैसा लाल वर्ण का, मन को मोहने वाला, तपे हुए तांबे के समान कांति वाला, उत्तर मार्ग से चलकर राजा एवं प्रजा के लिए कल्याणकारी होता है।

यह ऋषियों का अंतर्ज्ञान ही था जिसे ‘पाथफाइंडर’ ने आज हम लोगों को प्रत्यक्ष दिखा दिया है।

भविष्य कथन में मंगल की अवधारणा- मंगल अग्रि जैसा तेजस्वी एवं कांतिमान है इसीलिए इसे तरुण कहा जाता है। मंगल प्रधान व्यक्ति चालीस वर्ष की आयु होने पर भी 25 वर्ष जैसा प्रतीत होता है। जिस प्रकार तेज धधकते अंगारे पर नजर टिक नहीं सकती, उसी प्रकार मंगल प्रधान व्यक्ति से कोई नजरें नहीं मिला सकता है लेकिन फिर भी ये परोपकार में सदैव संलग्र रहते हैं क्योंकि अग्रि ही विश्व में मनुष्य को सदैव लाभकारी रहती है।

मंगल चंचल एवं धीर ग्रह है ऐसे व्यक्ति पूरी गंभीरता के साथ चतुराई से सारे कार्य को शीघ्र सम्पन्न करने वाले होते हैं। देहधारी मंगल की परिकल्पना करते हुए ज्योतिशास्त्र में बतलाया गया है कि मंगल युवावस्था वाला, लालवर्ण एवं अग्रि जैसी कांति वाला है। केश घुंघराले तथा चमकीले हैं। छोटा कद, पेट छोटा, कमर पतली और छाती का भाग उभरा हुआ होता है। दोनों होंठ एक समान होते हैं। चंचल, तमोगुण, साहसी, उदार तथा दानी स्वभाव होता है। पित्त प्रकृति होती है तथा शत्रुओं का नाश करने में तत्पर रहता है। यदि मंगल अशुभ हो तो हर जगह मरने-मारने को तत्पर, तेज-तर्रार आवाज वाला होता है। शरीर से मज्जा, रक्त, जिगर, होंठ, पेट, छाती, बाजुओं पर इसका अधिकार है। बल, पराक्रम, गर्व, साहस, कामवासना की तेजी, क्रोध, झूठ, द्वेष, परनिंदा आदि क्रियाएं यह संचालित करता है।

शुभ स्थिति में मंगल राजा और प्रजा दोनों के लिए कल्याणकारी होता है परन्तु अपने अशुभ समय में यह लूटपाट, हत्या, युद्ध, आतंकवाद के रूप में हानि पहुंचाता है।

PunjabKesari Story of Senapati Mangal


 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!