Edited By Sarita Thapa,Updated: 02 Sep, 2025 07:27 AM

Vaman Jayanti: जैसे की सब जानते हैं कि समय-समय पर भगवान विष्णु ने इस धरती के कल्याण के लिए अवतार लिया है। कभी धर्म की स्थापना के लिए तो कभी इस संसार को असुरों से मुक्त करवाने के लिए। इन्ही में से एक है भगवान वामन।
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Vaman Jayanti: जैसे की सब जानते हैं कि समय-समय पर भगवान विष्णु ने इस धरती के कल्याण के लिए अवतार लिया है। कभी धर्म की स्थापना के लिए तो कभी इस संसार को असुरों से मुक्त करवाने के लिए। इन्ही में से एक है भगवान वामन। वैसे तो धार्मिक पुराणों के अनुसार, विष्णु जी के कुल 24 अवतार माने जाते हैं। ऐसे में वामन अवतार श्री हरि का पांचवां अवतार माना जाता है।हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन वामन जयंती मनाई जाती है। कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से उनकी अपार कृपा मिलती है। तो आइए जानते हैं वामन जयंती के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-

Vaman Jayanti Shubh muhurat वामन जयंती शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 04 सितंबर को सुबह 04 बजकर 21 मिनट पर होगा और इसका समापन 05 सितंबर को सुबह 04 बजकर 08 मिनट पर होगा। बात करें श्रवण नक्षत्र की तो इसका आरंभ 04 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा और इसका समापन 05 सितंबर को सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर होगा। इस हिसाब से वामन जयन्ती 04 सितंबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी।

Vaman Dwadashi importance वामन जयंती महत्व
इस दिन के महत्व की तो वामन द्वादशी का महत्व हिंदू मान्यताओं में भगवान विष्णु ने देवताओं की रक्षा के लिए वामन अवतार धारण किया। इस अवतार में उन्होंने एक छोटे ब्राह्मण बालक का स्वरूप लिया और अपनी लीला से राजा बलि से तीन पग भूमि दान स्वरूप मांग ली। वामन अवतार में श्रीहरि ने जब पहला कदम बढ़ाया तो संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया, दूसरे कदम में पूरे आकाश को अपने वश में कर लिया। तीसरे पग के लिए जब कोई स्थान शेष नहीं रहा, तब राजा बलि ने विनम्रता से अपना शीश समर्पित कर दिया और वामन जी ने अपना तीसरा पग सिर पर रख दिया। इस प्रकार राजा बाली ने अपना वचन पूरा किया।
Vaman Jayanti Puja Vidhi वामन जयंती पूजा विधि
वामन जयंती के दिन पूजा के नित्यकर्मों से निवृत्त होकर भगवान श्री वामन का पंचोपचार विधि एवं षोडशोपचार से पूजन करें। इस दिन भगवान वामन की मूर्ति या चित्र की पूजा करें। अगर आपके पास मूर्ति है, तो दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर अभिषेक करें। चित्र है तो सामान्य पूजा करें। इस दिन भगवान वामन का अच्छे से पूजन करने के बाद आरती ज़रुर करें। भगवान वामन की मूर्ति के सामने 52 पेड़े और 52 दक्षिणा रखकर पूजा करें। इसके बाद भगवान वामन को भोग लगाकर ब्राह्मण को दही-चावल चीनी और दक्षिणा दान करके व्रत का पारण करें।
