Edited By Jyoti,Updated: 17 Sep, 2018 04:48 PM
हिंदू पंचांग के अनुसार 17 सितंबर को विश्वकर्मा की पूजा विशेष मानी जाती है। प्रत्येक वर्ष इस दिन विश्वकर्मा जयंती का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था, जिस कारण इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के रूप...
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हिंदू पंचांग के अनुसार 17 सितंबर को विश्वकर्मा की पूजा विशेष मानी जाती है। प्रत्येक वर्ष इस दिन विश्वकर्मा जयंती का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था, जिस कारण इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही पौराणिक युग में हथियारों का निर्माण किया था। इसके साथ ही मान्यता है कि भगवान इंद्र का हथियार 'व्रज' का निर्माण भी विश्वकर्मा ने किया था।
एेसी मान्यता है कि विश्वकर्मा को सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। इसलिए इंजीनियर, मिस्त्री, वेल्डर, बढ़ई, मिस्त्री जैसे पेशेवर लोग अपनी कार्य कुशलता को बढ़ाने के लिए विश्वकर्मा पूजा करते हैं। इस दिन लोग विश्वकर्मा देवता की पूजा करते है और अपने औजारों की साफ-सफाई करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। साथ ही प्रसाद बांटते हैं। इस दिन कारीगर अपने औज़ारों की पूजा करते हैं। एेसा माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से शिल्पकला का विकास होता है।
क्यों मनाया जाता है
इस दिन देशभर में शिल्पकार और कारोबारी अपने प्रतिष्ठानों पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित कर पूजा करते हैं। इस दिन फैक्टरी, वेल्डर, मकैनिक और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग कंपनी या कार्यस्थलों पर विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन विश्वकर्मा पूजा करने से उनका काम पूरे साल अच्छे से सुचारु रूप से चलता रहेगा। बंगाल, ओडिशा और पूर्वी भारत में हर साल यह पर्व 17 सितंबर को मनाया जाता है। हालांकि कुछ राज्यों में यह पर्व दीवाली के बाद गोवर्धन पूजा के दिन मनाया जाता है।
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