Ramayana Tour In Sri Lanka: अद्भुत है श्रीलंका की रामायण यात्रा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Jan, 2024 02:43 PM

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मुनेश्वर मंदिर (चिला) रावण का शक्ति प्रदाता तीर्थ स्थल कहलाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में रावण भगवान शिव की आराधना किया करता था और दैवी शक्तियां प्राप्त करता था। लंका के वैभव और सम्पन्नता में इस स्थान का विशेष महत्व है।

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Ramayana Places To See In Sri Lanka: मुनेश्वर मंदिर (चिला) रावण का शक्ति प्रदाता तीर्थ स्थल कहलाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में रावण भगवान शिव की आराधना किया करता था और दैवी शक्तियां प्राप्त करता था। लंका के वैभव और सम्पन्नता में इस स्थान का विशेष महत्व है।
 
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Sri lanka ramayana story: मुन्नावरी-
श्रीराम (क्षत्रिय) ने रावण (ब्राह्मण) का वध किया था। अत: श्री राम को ब्रह्म हत्या का दोष लगता था। इस दोष से छुटकारा पाने का उपाय श्री राम ने शिवजी से पूछा तो शिवजी ने उन्हें शिवलिंग स्थापित कर प्रार्थना करने की सलाह दी। तब श्रीराम ने मुन्नावरी मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कर प्रार्थना की। यह रामलिंग शिव भी कहलाता है। श्री राम द्वारा स्थापित यह प्रथम शिवलिंग है।

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What are some famous places in Sri Lanka

Ramayana Sites in Sri Lanka :
कटरागामा मुकवान मंदिर : कटरागामा मुकवान मंदिर लंका के अंदर दक्षिण में भगवान स्कन्द (मुकरान) प्रेम और युद्ध के देवता का मंदिर है। इसे राजा ड्टूगेमन (167-137 बी.सी.) ने बनवाया था। यहां हिंदू और मुसलमान दोनों ही पूजा करते हैं।

कहा जाता है कि स्कंद भगवान भारत से लंका आए थे। यहां आकर उन्होंने लंकाई लड़की से विवाह कर लिया था। कुछ समय पश्चात भारतीय पत्नी भी इनको खोजती यहां आ पहुंची। लंकाई पत्नी तवानी अम्मान तथा भारतीय पत्नी वल्ली अम्मान कोविल के यहां सुंदर मंदिर हैं। मंदिर कलात्मक और मनमोहक हैं।

Sri lanka ramayana tour : रावण एला झरना : सिडवा से लगभग 180 किलोमीटर दूर रावण एला झरना लगभग 9080 फुट की ऊंचाई पर स्थित आकर्षक झरना है। इस झरने में रावण प्रतिदिन स्नान करता था। यहां की चट्टानों में ग्रेनाइट पाया जाता है। झरने के पास कई गुफाएं हैं जो आपस में जुड़ी हैं। इन्हीं में रावण रहता था।
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इस झरने से ऊपर की ओर चढ़ने पर गुफा का दरवाजा दिखाई देता है।  इसी दरवाजे से रावण प्रतिदिन स्नान के लिए निकलता था। ये गुफाएं मानव निर्मित व वास्तुकला की अनमोल धरोहर हैं। इन्हीं गुफाओं में रावण का पुष्पक विमान रखा जाता था जिससे रावण को आने-जाने में असुविधा न हो। गुफाओं के सभी मार्ग गुप्त हैं।

सभी गुफाएं सभी बड़े शहरों, हवाई अड्डों व डेयरी फार्मों से जुड़ी हैं। सशुल्क सेवा शटल भी हैं जो भुगतान करने पर सेवा देती है।
जब इन पहाड़ों से नीचे की ओर आते हैं तो ‘पाताल लोक’ के दर्शन होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां अहिरावण जो विभीषन का हमशक्ल था, राम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलिदान के लिए ले गया था।

Ramayana Yatra in Sri Lanka: नुवरा इलिया : यहां से कुछ ही दूरी पर नुवरा इलिया है जो रोशनी का शहर भी कहलाता है। इसे ‘छोटे इंगलैंड’ के नाम से भी पुकारा जाता है।

यहां पूरे वर्ष वसंत रहता है। हरीमिता के अलावा चाय बागान भी हैं। यहां ईंटों से निर्मित प्राचीन डाकघर, गोल्फ एवं रेसकोर्स हैं।

सीता अम्मान मंदिर : सीता एलिया से झरना गिलता है जिसमें सीता जी स्नान करती थी। यहां तरह-तरह के घने व फलदार वृक्ष कतार में खड़े हैं, जिसमें हनुमान जी ने स्वयं को छुपाकर माता सीता जी के दर्शन किए थे।
 
इस स्थान पर राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की काले रंग की प्रतिमाएं व चार मंदिर हैं। इन मंदिरों के पीछे बह रही नदी के पास हनुमान के चरण देखे जा सकते हैं। कुछ मंदिरों में श्वेत पत्थर की प्रतिमा है।
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दिवरम्योला : इसका अर्थ है सीता के शपथ लेने का स्थान। सीता जी ने रावण की कैद से मुक्त होने के पश्चात यहां पर अग्रि परीक्षा दी थी। इस स्थान पर जलती अग्रि की लपटों में सीता जी दिखाई देती हैं। कहा जाता है कि सीता जी की अग्रि परीक्षा में जली हुई लकड़ियों की राख से दो वृक्ष बन गए जो आज विशाल आकार में दृष्टिगोचर होते हैं। मंदिर में अग्रि की लपटों में घिरी सीता माता का चित्र है।

Ramayana Tours in Sri Lanka: गायत्री पैडम : इस स्थान पर काले रंग के 108 शिवलिंग हैं। मेघनाद ने यहां शिवजी की उपासना कर अनेक प्रकार की शक्तियां अर्जित की थीं।

एक वर्ष में सभी शिवलिंग एक चावल के आकार के बराबर लम्बे हो जाते हैं। यहां गायत्री का भव्य मंदिर भी है।

भक्त हनुमान मंदिर:  कैंडी से 20 किलोमीटर दूर एम्बोड़ा पहाड़ी पर हनुमान जी ने सीता जी की खोज की थी। श्रीलंका के चिन्मय मिशन ने इष्ट देव के रूप में हनुमान जी का मंदिर बनवाया है। हनुमान जी की प्रतिमा काली व विशाल आकार की है। प्रत्येक पूर्णिमा को लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

ऐसी मान्यता है कि लंकावासियों ने यहां से हनुमान जी को जाने ही नहीं दिया अर्थात हनुमान जी यहीं रहते हैं।

हे कगला उद्यान : यह उद्यान कभी अशोक वाटिका के नाम से जाना जाता था। यहां अनेक प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं।
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वैरगन्टोटा : यह रावण की राजधानी थी। लंकाई भाषा में इसे विमान उतारने का स्थान कहते हैं। पूर्व में यह शहर था जहां मंदोदरी का सुंदर महल था। इसके चारों ओर झरने थे। सीता जी को अशोक वाटिका में ले जाने से पूर्व विमान से यहीं उतारा गया था। मंदोदरी का महल खंडहर, घने जंगलो और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से आच्छादित हो गया है। इसे सीता किला भी कहते हैं।

गुरुलूपोधा अर्थात सीता कोटवा : यहां भी सीता जी कुछ समय रही थीं। यह हिंदुओं की आस्था का केंद्र हैं। रास्ता अत्यंत दुर्गम है।

पहंगला : यह पहाड़ की वह चट्टान है जहां शहरवासी आकर रावण के अंतिम दर्शन कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।

लगेला पहाड़ी : यह स्थान सबसे ऊंचा है। इसी स्थल से रावण के संतरी ने श्री राम की सेना को सर्वप्रथम देखकर रावण को सूचना दी थी।

भौगोलिक दृष्टि से यह रावण के शहर से उत्तर की ओर सबसे ऊंचा क्षेत्र है। इसी चट्टान के पास कोनेश्वरम मंदिर है। राम-रावण युद्ध काल में रावण ने इसी मंदिर में शिव जी से विजय प्राप्त करने की आशा में यज्ञ किया था परन्तु राम की सेना ने रावण के यज्ञ को नष्ट कर दिया था। स्वच्छ आकाश में इसके उत्तर-पूर्व में थीरू कोनेश्वर तथा उत्तर-पश्चिम में तलाई मन्नार देख सकते हैं।

दुनुवाला (झनु-तीर बिला झील): ऐसा कहा जाता है कि झील के किनारे से श्री राम ने रावण वध के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया था।

पवित्र दांत अवशेष मंदिर : चौथी शताब्दी के बुद्ध के पवित्र दांत श्रीलंका में छिपाकर लाए गए थे। यह श्रीलंका की बेशकीमती वस्तु है।
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कैंडी शहर : यह पहाड़ी राजधानी है तथा पेरहेरा का वार्षिक त्यौहार स्थल है। लंका का दूसरा बड़ा शहर है। यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर में इसका नाम है। सुंदर झील, लम्बी नदी, गिस्टी पहाड़ियां हर आगंतुक को आकर्षित करती हैं।

रामसेतु : श्री राम ने अपनी सेना सहित लंका में प्रवेश करने हेतु समुद्र से मार्ग मांगा था पर तीन दिन प्रार्थना करने के बाद भी समुद्र ने रास्ता नहीं दिया तो श्री राम ने क्रोध में समुद्र को सुखाने के लिए शर संधान किया। तब समुद्र ने श्रीराम को समुद्र पर सेतु बनाने की सलाह दी। श्री राम ने नल-नील की मदद से सेतु बनाया इसलिए यह रामसेतु कहलाया।

कैलानिया मंदिर : लक्ष्मण ने विभीषण का राज तिलक इसी स्थान पर किया था। यहां विभीषण का चित्र है।
 
 
 
 

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