Edited By Prachi Sharma,Updated: 11 Dec, 2025 11:44 AM

Sant Namdev Story : संत नामदेव के बचपन की एक घटना है। एक दिन नामदेव जंगल से घर आए तो उनकी धोती पर खून लगा था। जब उनकी मां की नजर खून पर गई तो वह घबरा गईं। तत्काल दौड़कर नामदेव के पास जाकर उन्होंने पूछा, ‘‘तेरी धोती में कितना खून लगा है। क्या हुआ...
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Sant Namdev Story : संत नामदेव के बचपन की एक घटना है। एक दिन नामदेव जंगल से घर आए तो उनकी धोती पर खून लगा था। जब उनकी मां की नजर खून पर गई तो वह घबरा गईं। तत्काल दौड़कर नामदेव के पास जाकर उन्होंने पूछा, ‘‘तेरी धोती में कितना खून लगा है। क्या हुआ तेरे साथ ? कहीं गिर पड़ा था क्या ?’’
नामदेव ने उत्तर दिया, ‘‘नहीं मां, गिरा तो कहीं नहीं था। मैंने कुल्हाड़ी से स्वयं ही अपना पैर छीलकर देखा था।’’
मां ने धोती उठाकर देखा कि पैर में एक जगह की चमड़ी छिली हुई है। इतना होने पर भी नामदेव ऐसे चल रहे थे मानो उन्हें कुछ हुआ ही न हो।
नामदेव की मां ने यह देखकर पूछा, ‘‘तू बड़ा मूर्ख है। कोई अपने पैर पर भला कुल्हाड़ी चलाता है ? पैर टूट जाए, लंगड़ा हो जाए, घाव पक जाए या सड़ जाए तो पैर कटवाने की नौबत आ जाएगी।’’
मां की बात सुनकर नामदेव बोले, ‘‘तब पेड़ को भी कुल्हाड़ी से चोट लगती होगी। उस दिन तेरे कहने से मैं पलाश के पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाकर उसकी छाल उतार लाया था। मेरे मन में आया कि अपने पैर की छाल भी उतारकर देखूं, मुझे जैसी लगेगी, वैसी ही पेड़ को भी लगती होगी।’’
नामदेव की बात सुनकर मां को रोना आ गया।
वह बोलीं, ‘‘नामू, तेरे भीतर मनुष्य ही नहीं पेड़-पौधों को लेकर भी दया का भाव है। तू एक दिन जरूर महान साधु बनेगा। मुझे पता चल गया कि पेड़ों में भी मनुष्य के ही जैसा जीवन है। अपने चोट लगने पर जैसा कष्ट होता है, वैसा ही उनको भी होता है। अब ऐसा गलत काम कभी तुझसे नहीं कराऊंगी।’’
नामदेव की मां ने फिर कभी नामदेव को पेड़ काटने के लिए नहीं कहा।