Edited By Sarita Thapa,Updated: 07 Dec, 2025 11:51 AM

रामायण या किसी भी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करना एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक कार्य माना जाता है, जिसका उद्देश्य मन और आत्मा को शुद्ध करना है। वहीं, गुटका, तंबाकू या किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन करना तामसिक गतिविधि मानी जाती है।
Premanand Maharaj Advice: रामायण या किसी भी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करना एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक कार्य माना जाता है, जिसका उद्देश्य मन और आत्मा को शुद्ध करना है। वहीं, गुटका, तंबाकू या किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन करना तामसिक गतिविधि मानी जाती है। राधा रानी के अनन्य भक्त और वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने इस विषय पर अपनी राय स्पष्ट रूप से दी है। उनके विचारों और सामान्य धार्मिक मान्यताओं के आधार पर जानते हैं कि गुटका या तंबाकू के साथ रामायण पाठ करना सही या गलत।
प्रेमानंद महाराज का स्पष्ट मत
अपवित्रता और अशुद्धि
महाराज जी का कहना है कि किसी भी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करने का अर्थ है स्वयं को ईश्वर से जोड़ना। पाठ करने से पहले और पाठ के दौरान मुख और शरीर की शुद्धि परम आवश्यक है। गुटका या तंबाकू का सेवन मुख को अपवित्र करता है। जब मुख अपवित्र हो, तो उस मुख से भगवान के पवित्र नाम या उनकी कथा का पाठ करना अधर्म माना जाता है।
सम्मान और श्रद्धा की कमी
महाराज जी के अनुसार, धार्मिक ग्रंथों का पाठ केवल होंठों से नहीं, बल्कि हृदय की श्रद्धा से किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति तंबाकू चबाते हुए या उसके प्रभाव में पाठ करता है, तो यह भगवान और ग्रंथ के प्रति सम्मान की कमी को दर्शाता है। यह स्थिति पाठ के वास्तविक उद्देश्य को नष्ट कर देती है।

आंतरिक शुद्धि का महत्व
पाठ का मुख्य उद्देश्य वासनाओं और अशुद्धियों से मुक्त होना है। नशा या तंबाकू का सेवन स्वयं ही एक बुरी आदत या अशुद्धि है। यदि आप अशुद्ध आदत को त्यागने के बजाय उसे पाठ के साथ जोड़ते हैं, तो पाठ से प्राप्त होने वाला आध्यात्मिक लाभ शून्य हो जाता है।
क्या करना चाहिए?
प्रेमानंद महाराज जी सलाह देते हैं कि यदि आप रामायण या किसी भी ग्रंथ का पाठ करना चाहते हैं, तो पाठ से पहले मुख और हाथ अच्छी तरह से धोएं। यदि संभव हो तो स्नान करें। पाठ करने से पहले नशीले पदार्थों का सेवन पूरी तरह से त्याग दें। पाठ के दौरान आपका पूरा ध्यान और मन प्रभु के चरणों में होना चाहिए।

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