भद्रा कौन थी? क्यों माना जाता है अशुभ ?

Edited By Jyoti,Updated: 02 Aug, 2020 07:06 PM

who was bhadra why is it considered inauspicious

रक्षा बंधन को लेकर बहुत सी मान्यताएं प्रचलित हैं, फिर चाहे वो मान्यताएं इसे मनाने की परंपरा से जुड़ी हो या इससे मनाने के नियमों आदि से संबंधित।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
रक्षा बंधन को लेकर बहुत सी मान्यताएं प्रचलित हैं, फिर चाहे वो मान्यताएं इसे मनाने की परंपरा से जुड़ी हो या इससे मनाने के नियमों आदि से संबंधित। मगर इससे जुड़ी एक ऐसी बात भी है जिसके बारे में जानने की इच्छा लगभग सभी की होती है। दिमाग पर ज्यादा ज़ोर मत डालिए हम आपको बता देते हैं कि हम बात कर रहे हैं भद्रा के बार में। आप में से बहुत से लोग होंगे जिन्होंने अन्य लोगों को कहते सुना होगा कि राखी के त्यौहार पर रक्षा सूत्र बांधने से पहले ये देखा जाता है कि कहींं भद्रा तो नहीं लगी है। और अगर है तो उस समय राखी नहीं बांधना है। मगर ऐसा क्यो कहा जाता, ये जानने के लिए लोग उत्सुक रहते हैं कि भद्रा आख़िर होती क्या है। तो चलिए आपको बता देते हैं कि क्या है भद्रा और इससे अशुभ क्यों माना जाता है।  
PunjabKesari, Bhadra, Bhadra inauspicious, Raksha Bandhan, Raksha Bandhan 2020, रक्षा बंधन, राखी, राखी 2020, Hindu Vrat or tyohar, Dharmik katha, Religious Katha in hindi, Punjab Kesari
इससे पहले जान लें राखी का शुभ मुहूर्त- 
बता दें कि इस साल रक्षाबंधन भद्रा रहित रहेगा। यानि कि सुबह 9 बजकर 28 मिनट के बाद पूरे दिन कभी भी राखी बांध सकते हैं।

कौन थी भद्रा भद्रा को क्यों माना जाता है अशुभ ?
ज्योतिष शास्त्र में तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण के स्पष्ट मान आदि को पंचांग कहा जाता है। पंचांग में कुछ समय ऐसा भी होता है, जिसमें कोई भी मंगल कार्य करना निषिद्ध यानि वर्जित माना जाता है। काम करने पर कुछ न कुछ बुरा होने की आशंका रहती है।  ऐसे निषिद्ध समय को 'भद्रा' कहते हैं। पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्यदेव की पुत्री और राजा शनि की बहन है।
PunjabKesari, Bhadra, Bhadra inauspicious, Raksha Bandhan, Raksha Bandhan 2020, रक्षा बंधन, राखी, राखी 2020, Hindu Vrat or tyohar, Dharmik katha, Religious Katha in hindi, Punjab Kesari
शनि की तरह ही इनका स्वभाव भी कड़क बताया गया है।  इसलिए उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया। इसके अलावा आपको बता दें कि भद्रा का स्वरूप अत्यंत विकराल बताया गया है।  ब्रह्मा जी के आदेश से भद्रा, काल के एक अंश के रूप में विराजमान रहती है। अपनी उपेक्षा या अपमान करने वालों के कार्यों में विघ्न पैदा करके विपरीत परिणाम देती है। यही कारण है कि विवाह, गृह प्रवेश, कृषि, उद्योग, रक्षाबंधन, होलिका दहन, दाह कर्म जैसे कार्य भद्रा के दौरान नहीं किए जाते हैं। 

चलिए अब आपको बताते हैं कि कहां और कब होती है भद्रा। भद्रा को लेकर ज्योतिषियों का कहना है कि जब चंद्रमा मेष, वृष, मिथुन और वृश्चिक राशि में होते हैं तब भद्रा स्वर्ग लोक में रहती है। चंद्रमा के कुंभ, मीन, कर्क और सिंह राशि में होने पर भद्रा पृथ्वी लोक में तथा चंद्रमा के कन्या, तुला, धनु एवं मकर राशि में होने पर भद्रा पाताल लोक में निवास करती है।

इस दौरान कौन सा काम करना होता है वर्जित- 
अशुभ भद्रा के दौरान विवाह संस्कार, मुण्डन संस्कार, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, शुभ कार्य के लिए यात्रा, त्योहार, नया कार्य आदि की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।  लेकिन किसी पर मुकदमा, शत्रु पक्ष से मुकाबला, राजनीतिक कार्य, सीमा पर युद्ध, ऑप्रेशन के लिए, वाहन खरीदने आदि कार्यों के लिए भद्रा शुभ होती है।
PunjabKesari, Bhadra, Bhadra inauspicious, Raksha Bandhan, Raksha Bandhan 2020, रक्षा बंधन, राखी, राखी 2020, Hindu Vrat or tyohar, Dharmik katha, Religious Katha in hindi, Punjab Kesari
भद्रा के अशुभ प्रभावों से ऐसे पा सकते हैं छुटकारा- 
भद्रा के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए व्यक्ति को भद्रा के दिन सुबह उठकर भद्रा के बारह नामों का स्मरण करना चाहिए। भद्रा के बारह नाम इस प्रकार हैं- धन्या, दधिमुखी, भद्रा, महामारी, खरानना, कालरात्रि, महारुद्रा, विष्टि, कुलपुत्रिका, भैरवी, महाकाली, और असुरक्षयकारी भद्रा।
 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!