'बैडमैन' टैग तो मेरे काम का पुरस्कार है, मैं उससे कभी नाखुश नहीं होता: गुलशन ग्रोवर

Updated: 12 Sep, 2025 10:15 AM

heer express starcast exclusive interview with punjab kesari

फिल्म हीर एकसप्रेस के लीड एक्टर गुलशन ग्रोवर और दिविता जुनेजा ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार के लिए संवाददाता संदेश औलख शर्मा से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पारिवारिक फ़िल्में बनाने को लेकर जाने जाने वाले डायरेक्टर उमेश शुक्ला की नयी फिल्म 'हीर एक्सप्रेस' 12 सितंबर को सिनेमा घरों में रिलीज़ होने जा रही है जिसमें गुलशन ग्रोवर , आशुतोष राणा और संजय मिश्रा जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ प्रीत कमानी और दिविता जुनेजा जैसे नए चेहरे नज़र आने वाले हैं। फिल्म को इस हिसाब से बनाया गया है कि इसे देखने पूरा परिवार एक साथ जा सकता है।  ख़ास बात ये है कि इस फिल्म के प्रोडूसर्स में से एक प्रोडूसर गुलशन ग्रोवर के बेटे संजय ग्रोवर हैं। इसी के चलते फिल्म की लीड एक्टर गुलशन ग्रोवर और दिविता जुनेजा ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार के लिए संवाददाता संदेश औलख शर्मा से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश

गुलशन ग्रोवर

सवाल - आप इतने सालों से इस इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं इतनी फ़िल्में की तो ये फिल्म के बारे में क्या कहना है आपका ?
जवाब- 
ये फिल्म मेरे लिए ही नहीं हम सबके लिए बहुत ख़ास और बहुत सिग्नीफिकेंट है।  आज तक बहुत सारी फिल्मों में काम किया है मैंने , भगवान की कृपा से 500 से ज़्यादा फिल्मों में काम कर चूका हूँ और इस फिल्म के सिग्नीफिकेंट होने के बहुत सारे कारण हैं।  पहला तो यही है कि अब पारिवारिक फ़िल्में बननी बंद हो गई हैं आज कल फिल्मों में बहुत कुछ दिखाया जा रहा है लेकिन मैं चाहता था कि तरह की पहले साफ़-सुथरी पारिवारिक फ़िल्में बनती थी जो सब इक्क्ठे जेक सिनेमा हाल में देख सकें , और जब टीवी पर आए तो भी सारा परिवार इक्क्ठा हो सके , लेकिन ये आजकल बनती नहीं है क्यूंकि बनाने वालों को ऐसा लगता है कि शायद लोगों अब इस तरह की फ़िल्में नहीं देखेंगे।  लेकिन इस फिल्म को बनाने वाले लोगों ने बहुत हिम्मत और प्रयासों से इस फिल्म को बनाया है।  इस फिल्म के डायरेक्टर उमेश शुक्ल जो हमेशा पारिवारिक फ़िल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं और इस फिल्म की कहानी मेरे बेटे संजय ग्रोवर की है और वही इस फिल्म के प्रोडूसर्स में से एक भी हैं।  तो इन सभी लोगों ने कि हम एक ऐसी फिल्म बनाते हैं जो चटपटी , मज़ेदार हो लेकिन कुछ भी इसमें गंदा ना हो , और फिर जब सबने ये फैसला लिया कि ये लोग बना रहे हैं फिल्म 'हीर एक्सप्रेस' जो एक महिला प्रधान फिल्म है , तब सबका यही मानना था कि किसी नामी स्टार को हीर के रोल में लिया जाए जिसमें ऐसी प्यारी क्वालिटीज़ हों जो लोगों को देखते ही पसंद आ जाएं।  लेकिन दिविता की किस्मत , टैलेंट और इनके सारे गुण उन डायरेक्टर्स और प्रोडूसर्स को पसंद आए और ये बन गई 'हीर एक्सप्रेस' की लीड एक्ट्रेस।  

सवाल- आपके बेटे की ये फिल्म है तो आपकी कास्टिंग पर क्या राय थी ?
जवाब- 
इनका टैलेंट है जो ये हीर बनी वरना हम तो खिलाफ थे किसी नयी लड़की को कास्ट करने के।  हम चाहते थे कि बेटा फिल्म बना रहा है तो किसी नामी एक्ट्रेस को लिया जाए हीर के रोल में , मैंने कहा था कि किसी बड़ी हेरोइन को लेते हैं मैं बात करता हूं , लेकिन जब फैसला हुआ तो मैं तो उस कमेटी में था नहीं , मगर इनके फैसले का हमने सम्मान किया , पर जब काम देखा तो हमें बहुत पसंद आया। 

सवाल- जब नए एक्टर्स के साथ आप काम करते हैं तो आपका कैसा एक्सपीरियंस होता है ?
जवाब-
 दो बातें कहना चाहूंगा कि अब इतना धैर्य नहीं रहा कि अगर न्यूकमर की वजह से टाइम खराब हो रहा है क्यूंकि टाइम का, काम का बहुत प्रेशर होता है आजकल। पहले इतना प्रेशर नहीं हुआ करता था।  दूसरी बात ये है कि आज की नयी जनरेशन आज हम सबसे बहुत ज़्यादा टैलेंटड है और मैं उनकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ।  मैंने रानी मुख़र्जी की पहली फिल्म राजा की आएगी बारात में उनके साथ काम किया और उनके काम ने मेरा दिल जीत लिया , फिर जब मैं दिविता से मिला उसका काम देखा तो मुझे रानी मुख़र्जी की याद आ गई।  

सवाल- हीर एक्सप्रेस का म्यूजिक बहुत अच्छा है तो क्या लगता है आपको कि म्यूजिक किसी भी फिल्म के लिए कितना जरूरी है ?
जवाब- 
मुझे लगता है कि म्यूजिक फिल्मों में ही नहीं बल्कि मुसिक जीवन में भी बहुत जरूरी है। म्यूजिक एक थैरपी की तरह काम करता है आपको शांत करने में रिलैक्स करने में भी और मोटिवेट करने में भी। अगर बात फिल्मों की हो तो म्यूजिक अगर हिट है किसी फिल्म का तो फिल्म तो समझो हिट हो ही गई।  

सवाल- अगर ये फिल्म 90s में बनी होती और आप इसके लीड एक्टर होते तो आप अपने अपोजिट किसे कास्ट करते ?
जवाब-
बेशक 90s होता , 80s होता या 70s होता , मैं लीड तो होता ही नहीं।  क्यूंकि इसके पीछे एक वेल कैलकुलेटिव डिसीज़न है।  जब मैं फिल्मों में आया था तो मुझे बहुत सारी फिल्मों में हीरो लेने की कोशिश की गई थी और ये बात मेरी ऑटोबायोग्राफी  में मेंशन है , क्यूंकि मुझे ऐसा लगता है कि हीरो के करियर में लोंजीबिलिटी होती नहीं है क्यूंकि एक टाइम के बाद उम्र हो जाती है और लड़कियां एक पोस्टर हटाकर दूसरा लगा देती हैं ट्रेंड और पसंद के हिसाब से , तो मैं अपना करियर उस टाइम पर आकर दरोबदार नहीं करना चाहता था कि लड़कियां मुझे तभी पसंद करें जब तक मैं चल रहा हूँ , मैं ऐसी एक्टिंग चुनना चाहता था कि चाहे कितनी भी मेरी उम्र हो जाए जब भी मुझे एक्टिंग करने का मौका मिले तो तब भी मैं उस किरदार में छा जाऊं।  और वि किरदार खलनायक का था।  लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि इसमें रेखा जी , जया बहादुरी जी , भाग्यश्री और आलिया भट्ट इन सबका एक कॉम्बिनेशन हो तो बहुत अच्छा हो।  

सवाल- जब आपको ये कहानी सुनाई गई तो आपका पहला रिएक्शन क्या था ?
जवाब-
मैंने बेटे से स्टोरी तो सुन ली लेकिन जैसे हम आजकल के यूथ की तरफ ज़्यादा ध्यान नहीं देते कि ये अब पता नहीं क्या करेंगे।  लेकिन अब मैं एक बात जरूर कह सकता हूँ कि ये नौजवान पीढ़ी इनके स्टोरी कहने का तरीका अजीब हो सकता है लेकिन इनका कंटेंट कमाल का होता है।  

सवाल- आपको एक टैग मिला हुआ है 'बैडमैन' का आपको कभी लगा कि ये टैग बदला जाना चाहिए ?
जवाब- ये टैग तो मेरे काम का पुरस्कार है उसकी सराहना है और उसका इनाम है। तो मुझे तो ये कभी भी बुरा नहीं लगता।  दिलचस्प बात तो ये है कि मेरे बेटे ने बैडमैन नाम के प्रोडक्ट्स तक लांच कर दिए।  

दिविता जुनेजा

सवाल- आपकी कास्टिंग की कहानी भी काफी अलग है , किस्मत कनेक्शन है उसमें , तो क्या है वो ?
जवाब- 
दरअसल एक अवॉर्ड फंक्शन में गई थी मैं , वहां सिद्धार्थ मल्होत्रा को अवार्ड मिला , उसके बाद एंकर ने कहा कि कौन करेगा सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ डांस तो सिद्धार्थ ने मेरे ऊपर पॉइंट किया और मैंने  सिद्धार्थ के साथ डांस किया , बातचीत की। किस्मत से वहां हीर एक्सप्रेस के डायरेक्टर उमेश शुक्ल भी मौजूद थे जिन्होंने मुझे हीर के लिए सेलेक्ट किया और आज मैं बन गई हीर एक्सप्रेस की हीर। 

सवाल- आप पहले भी एक्टिंग में जाना चाहते थे या किस्मत आपको इस ओर ले आई ?
जवाब-
 मेरा पहले से ही इस ओर झुकाव था और मैं चाहती थी एक्टिंग में आना।  मैंने थिएटर किया हुआ है और मैंने कत्थक , लोकल मुसिक और क्लासिकल डांस भी सीखा है।  तो मेरा रुझान तो हमेशा से ही था पर मेरा टर्निंग पॉइंट वो था जब मैं अपनी फैमिली के साथ एक फिल्म देख रही थी 'राज़ी' , तो वो फिल्म देखते वक्त मैंने सोच लिया था कि अगर  करना है तो वो सिर्फ एक्टिंग ही होनी चाहिए।  मैंने इसके लिए कई वर्कशॉप्स भी की हैं।  और बहुत ही कम टाइम में मुझे ये मौका मिल गया।  

सवाल- इतने बड़े - बड़े मंझे हुए एक्टर्स हैं इस फिल्म में तो शूटिंग का पहले दिन का एक्सपीरियंस कैसा रहा ?
जवाब- 
शूटिंग से पहले हमारा एक  रीडिंग सेशन हुआ था मुंबई में , जहां में सबसे  पहली बार मिली थी और उस दिन में बहुत ज़्यादा नर्वस थी लेकिन हमारे डायरेक्टर उमेश शुक्ला सर मेरे साथ बैठे हुए थे।  तो मुझे लगता है कि उनका भरोसा ही है जिससे मैं इतना कुछ कर स्की। फिर जब मैं पहले दिन शूटिंग पर गई तो मैं आशुतोष राणा सर और गुलशन सर  दोनों से ही पहली बार मिली थी , लेकिन एक बात मैं जरूर कहना चाहूंगी कि बेशक ये बॉलीवुड के बैडमैन हैं लेकिन असल ज़िंदगी में ये बहुत अच्छे हैं।  सर ने ही मुझे हमेशा से हौंसला दिया है कि लेगी टेंशन मत ले।  तो ये नर्वसनेस कब खत्म हो गई पता ही नहीं चला।  

सवाल- जब आपने पहली बार कहानी सुनी तो आपका क्या रिएक्शन था ?
जवाब-
 जब मैंने पहली बार कहानी सुनी तो सबसे अच्छा तो मुझे हीर का किरदार लगा उसमें , क्योंकि हीर एक हॉर्स राइडर , मैकेनिक और शैफ सब कुछ है इसमें।  और ख्याल तो मन में यही आया था कि ये सच में एक साफ़ सुथरी पारिवारिक फिल्म है जिसे देखने पूरी फैमिली एक साथ जा सकती है।

 

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